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विदेशी निवेशकों का शेयर बाजार में वर्चस्व खत्म, अब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का बोलबाला, जानें कैसे

प्राइम डाटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि भारतीय बाजार ‘आत्मनिर्भरता’ की ओर बढ़ रहा है और अगली कुछ तिमाहियों में डीआईआई की हिस्सेदारी एफपीआई से आगे निकल जाएगी।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 06, 2024 20:20 IST
Mutual Fund Industry - India TV Paisa
Photo:FILE म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री

भारतीय शेयर बाजार (Share Market) से विदेशी निवेशक जिस तेजी से पैसा निकाल रहे हैं, अगर म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का सहारा नहीं मिला होता तो बाजार में अभी तक बड़ी गिरावट आ गई होती। आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड कंपनियों की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में सूचीबद्ध कंपनियों में हिस्सेदारी मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही में अपने अबतक के उच्चतम स्तर 8.92 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इस दौरान शुद्ध निवेश 81,539 करोड़ रुपये रहा। वहीं,  दूसरी ओर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की हिस्सेदारी मार्च, 2024 की स्थिति के अनुसार घटकर 11 साल के निचले स्तर 17.68 प्रतिशत पर आ गई, जो दिसंबर, 2023 में 18.19 प्रतिशत थी। 

यानी विदेशी निवेशकों की ओर से पैसा निकालने का भी बाजार पर असर नहीं हो रहा है। यूं कहें तो विदेशी निवेशकों का शेयर बाजार में वर्चस्व खत्म हो गया है। वहीं, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का बोलबाला हो गया है। पूंजी बाजार के बारे में आंकड़े उपलब्ध कराने वाला प्राइम डाटाबेस ग्रुप की इकाई ग्रुपप्राइमइनफोबेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

LIC की हिस्सेदारी में जोरदार उछाल

इसकी तुलना में दिसंबर, 2023 को समाप्त तिमाही में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी 8.81 प्रतिशत थी। सबसे बड़े घरेलू संस्थागत निवेशक एलआईसी की हिस्सेदारी मार्च, 2024 तक बढ़कर 3.75 प्रतिशत हो गई, जो दिसंबर, 2023 तक 3.64 प्रतिशत थी। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की हिस्सेदारी समीक्षाधीन तिमाही में बढ़कर 16.05 प्रतिशत हो गई जो इससे पिछली तिमाही अक्टूबर-दिसंबर में 15.96 प्रतिशत थी। यह वृद्धि 1.08 लाख करोड़ रुपये के भारी प्रवाह के कारण हुई। दूसरी ओर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की हिस्सेदारी मार्च, 2024 की स्थिति के अनुसार घटकर 11 साल के निचले स्तर 17.68 प्रतिशत पर आ गई, जो दिसंबर, 2023 में 18.19 प्रतिशत थी।

FPI और DII हिस्सेदारी के बीच अंतर बढ़ा

 इससे एफपीआई और डीआईआई हिस्सेदारी के बीच अंतर बढ़ा है। डीआईआई हिस्सेदारी अब एफपीआई हिस्सेदारी से केवल 9.23 प्रतिशत कम है। इसके साथ यह अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। प्राइम डाटाबेस ग्रुप के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि भारतीय बाजार ‘आत्मनिर्भरता’ की ओर बढ़ रहा है और अगली कुछ तिमाहियों में डीआईआई की हिस्सेदारी एफपीआई से आगे निकल जाएगी। यह विश्लेषण मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही के लिए एनएसई पर सूचीबद्ध कुल 1,989 कंपनियों में से 1,956 की तरफ से दिये गये शेयरधारिता ब्योरे पर आधारित है। 22 अप्रैल तक, 33 कंपनियों को अपना शेयरधारिता का आंकड़ा दाखिल करना था। 

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