Friday, September 13, 2024
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क्या आपको भी आता है RBI के नाम से कॉल? फ्रॉड करके लोगों के अकाउंट खाली कर रहे जालसाज

आरबीआई ने कहा कि धोखेबाज लोग डराने-धमकाने की रणनीति भी अपनाते हैं, जिसमें पीड़ितों से आईवीआर कॉल, एसएमएस और ईमेल के जरिए संपर्क किया जाता है। वे खुद को आरबीआई अधिकारी बताते हैं।

Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: August 29, 2024 22:18 IST
आरबीआई अलर्ट- India TV Paisa
Photo:FILE आरबीआई अलर्ट

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने नाम पर धोखाधड़ी की गतिविधियों के प्रति लोगों को आगाह किया है। केंद्रीय बैंक ने लोगों से कहा कि वे अपने खाते के लॉगइन विवरण, ओटीपी या केवाईसी दस्तावेज अज्ञात व्यक्तियों के साथ साझा न करें। आरबीआई ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि संज्ञान में आया है कि गड़बड़ी में शामिल रहने वाले कुछ तत्व उसके नाम का उपयोग करके जनता को धोखा देने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। आरबीआई ने धोखेबाजों द्वारा अपनाई गई विभिन्न कार्यप्रणाली को भी लिस्ट किया है।

फर्जी ईमेल का करते हैं इस्तेमाल

धोखेबाज लोग आरबीआई के फर्जी लेटर हेड और फर्जी ईमेल पते का इस्तेमाल करते हैं, खुद को केंद्रीय बैंक का कर्मचारी बताते हैं, और लोगों को लॉटरी जीतने, धन हस्तांतरण, विदेशी धन प्रेषण और सरकारी योजनाओं जैसे फर्जी प्रस्तावों के साथ फंसाते हैं। लक्षित पीड़ितों से मुद्रा प्रसंस्करण शुल्क, स्थानांतरण/प्रेषण/प्रक्रिया शुल्क के रूप में धन लिया जाता है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि एक और चाल जो हमारे ध्यान में आई है। धोखेबाज लोग छोटे/मध्यम कारोबारियों से सरकार/आरबीआई अधिकारी बनकर संपर्क करते हैं और आकर्षक भुगतान का वादा करके सरकारी अनुबंध या योजना की आड़ में उनसे ‘सुरक्षा जमा’ का भुगतान करवाने के लिए कहते हैं।

डराने-धमाकने की रणनीति भी अपनाते

आरबीआई ने कहा कि धोखेबाज लोग डराने-धमकाने की रणनीति भी अपनाते हैं, जिसमें पीड़ितों से आईवीआर कॉल, एसएमएस और ईमेल के जरिए संपर्क किया जाता है। वे खुद को आरबीआई अधिकारी बताते हैं और प्राप्तकर्ताओं के बैंक खातों को फ्रीज/ब्लॉक/निष्क्रिय करने की धमकी देते हैं तथा उन्हें कुछ व्यक्तिगत विवरण साझा करने या संचार में दिए गए लिंक का उपयोग करके कुछ अनधिकृत/असत्यापित एप्लिकेशन इंस्टॉल करने के लिए राजी या मजबूर करते हैं। आरबीआई ने कहा कि उसे कुछ वेबसाइटों और ऐप के बारे में पता चला है, जिनमें अनधिकृत डिजिटल ऋण देने वाले ऐप और अन्य कथित वित्तीय सेवा प्रदाता जैसी संस्थाएं शामिल हैं। केंद्रीय बैंक ने जनता को संदिग्ध संचार की सूचना कानून प्रवर्तन एजेंसियों को देने की सलाह दी।

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