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राज्य EMI भरकर चुका रहे बिजली बिल, वितरण कंपनियों का बकाया 24,689 करोड़ रुपये घटा

सरकार इस समय घटती कमाई के साथ कई आर्थिक चुनौतियों से गुजर रही है। इस बीच केंद्र के लिए बिजली वितरण कंपनियों की ओर से काफी अच्छी खबर आई है। कंपनियों का बकाया घट गया है।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: November 30, 2022 15:15 IST
बिजली वितरण कंपनियों...- India TV Paisa
Photo:FILE बिजली वितरण कंपनियों का बकाया 24,689 करोड़ रुपये घटा

केंद्र की मोदी सरकार इस समय भीषण आर्थिक संकट से जूझ रही है। ग्रोथ और महंगाई की चुनौतियों के बीच केंद्र को एक खबर ने बड़ी राहत दी है। यह खबर आई है सरकार के लिए सिरदर्द बन चुकी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की ओर से। ताजा आंकड़ों के अनुसार डिस्कॉम पर बिजली उत्पादकों, पारेषण कंपनियों और व्यापारियों का बकाया पिछले छह माह में 24,680 करोड़ रुपये घट गया है। हालांकि यह अभी भी काफी अधिक है। ताजा कटौती के बाद अब कुल बकाया 1,13,269 करोड़ रुपये रह गया है। 

1,13,269 करोड़ रुपये रह गया बकाया

बिजली मंत्रालय ने बयान में कहा कि बिजली (विलम्ब भुगतान अधिभार एवं संबद्ध मामले) नियम, 2022 के क्रियान्वयन के साथ डिस्कॉम के आपूर्तिकर्ताओं (बिजली उत्पादक, पारेषण कंपनियों और व्यापारियों) के बकाया में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। बयान में कहा गया है कि डिस्कॉम पर कुल बकाया तीन जून, 2022 को 1,37,949 करोड़ रुपये था। चार मासिक किस्तों (ईएमआई) के समय पर भुगतान से यह 24,680 करोड़ रुपये घटकर 1,13,269 करोड़ रुपये रह गया है। 

राज्य EMI में कर रहे भुगतान 

बिजली मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पांच राज्यों ने 24,680 करोड़ रुपये की ईएमआई के भुगतान के लिए पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी लि. से 16,812 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है जबकि आठ अन्य राज्यों ने इसके लिए अपनी खुद व्यवस्था की है। वितरण कंपनियां भी अपने मौजूदा बकाया का समय पर भुगतान कर रही हैं, जिसने वे नियमन के तहत नहीं आएं। 

5 महीने में 1.68 लाख करोड़ का पेमेंट

वितरण कंपनियों ने पिछले पांच माह में मौजूदा बकाया के करीब 1,68,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। अभी सिर्फ एक कंपनी जेबीवीएनएल ने मौजूदा बकाया का भुगतान नहीं करने की वजह से नियमन के तहत आई है। बयान के अनुसार अबतक जो परिणाम आये हैं, उसको देखते हुए यह उम्मीद है कि विलम्ब भुगतान अधिभार नियम के कड़ाई से क्रियान्वयन से बिजली क्षेत्र को वित्तीय रूप से व्यवहारिक बनाने में मदद मिलेगी। इससे 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये निवेशक निवेश के लिये आकर्षित होंगे। 

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