देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर (वित्तीय क्षेत्र) में डिजिटलीकरण से अगली पीढ़ी की बैंकिंग का रास्ता खुल रहा है। गवर्नर ने कहा कि इससे काफी कम लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बेहतर हो रही है। भाषा की खबर के मुताबिक, दास ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रा और वित्त (आरबीएफ) पर रिपोर्ट की प्रस्तावना में यह भी कहा कि प्रमुख एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने आखिरी यूजर के लिए रिटेल पेमेंट एक्पीरियंस में क्रांति ला दी है। इससे लेन-देन तेज और अधिक सुविधाजनक हो गया है।
ई-रुपी पर गवर्नर ने कहा
डिजिटल करेंसी सेक्टर में रिजर्व बैंक ई-रुपी, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के पायलट परीक्षण के साथ सबसे आगे है। डिजिटल लोन इकोसिस्टम ओपन क्रेडिट इनेबलमेंट नेटवर्क, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क और सुविधाजनक कर्ज के लिए पब्लिक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म जैसे पहलों के साथ मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियां ऋण सेवा प्रदाताओं के रूप में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ सहयोग कर रही हैं। वे डिजिटल लोन की सुविधा के लिए प्लेटफॉर्म भी संचालित कर रहे हैं।
वित्तीय बाजार अधिक कुशल हो रहे
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में डिजिटलीकरण से लाभार्थियों को लागत-कुशल तरीके से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ये सभी इनोवेशन वित्तीय बाजारों को अधिक कुशल और एकीकृत बना रहे हैं। इसके अलावा, दास ने कहा कि आरबीआई बैंकों और फिनटेक ऋणदाताओं के खातों में 50,000 रुपये तक के लोन की निगरानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल लहर दुनिया को अभूतपूर्व और परिवर्तनकारी बना रही है।
इनपर लगाया जुर्माना
भारतीय रिजर्व बैंक ने विनियामक अनुपालन में कमियों के लिए भुगतान प्रणाली संचालक वीज़ा वर्ल्डवाइड, ओला फाइनेंशियल सर्विसेज और मणप्पुरम फाइनेंस पर जुर्माना लगाया है।