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डीजल 25 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ! जानिए, किन लोगों पर पड़ेगा इसका असर

सूत्रों के बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि के बाद थोक में डीजल खरीदने वाले उपभोक्ताओं के लिए डीजल की कीमत में 25 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Updated on: March 20, 2022 13:47 IST
petrol - India TV Paisa
Photo:FILE

petrol 

Highlights

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40% की वृद्धि हुई है
  • थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल 25 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है
  • मुंबई में डीजल की कीमत बढ़कर 122.05 रुपये प्रति लीटर हो गई है

नई दिल्ली। थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल 25 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी है। सूत्रों के बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि के बाद थोक में डीजल खरीदने वाले उपभोक्ताओं के लिए डीजल की कीमत में 25 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है लेकिन पेट्रोल पंपों पर खुदरा खरीदारों के लिए दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी व्यक्तिगत डीजल खरीदार पर इस बढ़ोतरी का असर नहीं होगा। 

इन शहरों में इतनी बढ़ी कीमत 

मुंबई में थोक उपभोक्ताओं को बेचे जाने वाले डीजल की कीमत बढ़कर 122.05 रुपये प्रति लीटर हो गई है। यह पेट्रोल पंपों पर बेचे जाने वाले डीजल की कीमत 94.14 रुपये प्रति लीटर है। वहीं, दिल्ली में पेट्रोल पंप पर डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर है, लेकिन थोक या औद्योगिक खरीदारों के लिए इसकी कीमत लगभग 115 रुपये हो गई है। उल्लेखनीय है कि सरकारी तेल कंपनियों ने वैश्विक बाजार में तेल और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के बावजूद 4 नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि नहीं की है। 

कौन होते हैं थोक खरीदार 

डीजल के थोक खरीदार में सरकारी बस के बेड़े, मॉल, हवाई अड्डों, इंडस्ट्री आदि शामिल होते हैं, जो बिजली पैदा करने के लिए डीजल का उपयोग करते हैं। इनके लिए डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की गई है। गौरतलब है कि सरकारी तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी नहीं करने से प्राइवेट कंपनियों को बड़ा नुकसान हो रहा है।  

प्राइवेट कंपनियों को भारी नुकसान 

सरकारी कंपनियों द्वारा दाम नहीं बढ़ाने से प्राइवेट तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ा है। सबसे अधिक प्रभावित नायरा एनर्जी, जियो-बीपी और शेल जैसी कंपनियां हुई हैं। बिक्री बढ़ने के बावजूद इन कंपनियों ने अभी तक मात्रा में कमी नहीं की है। लेकिन अब पंपों के लिए परिचालन आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह जाएगा। मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने कहा कि रिकॉर्ड 136 दिन से ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है जिसकी वजह से कंपनियों के लिए इन दरों पर अधिक ईंधन बेचने के बजाय पेट्रोल पंपों को बंद करना अधिक व्यावहारिक विकल्प होगा। वर्ष 2008 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बिक्री घटकर ‘शून्य’ पर आने के बाद अपने सभी 1,432 पेट्रोल पंप बंद कर दिए थे। सूत्रों ने कहा कि कुछ यही स्थिति आज भी बन रही है। 

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