Thursday, September 19, 2024
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गुजरात में हीरा व्यापार की चमक हुई फीकी, अब हजारों श्रमिकों पर छंटनी की तलवार, जानें ऐसा क्यों हुआ?

काम नहीं होने से सूरत में फैक्ट्रियों में श्रमिकों को एक हफ्ते में दो से तीन दिन की छुट्टी दी जा रही हे। नाम न बताने की शर्त पर एक कारोबारी ने कहा कि कुछ हीरा कारीगर दूसरे क्षेत्रों में रोजगार की तलाश कर रहे हैं।

Reported By : Shailesh Champaneria Edited By : Alok Kumar Updated on: August 15, 2024 11:20 IST
Diamond Workers - India TV Paisa
Photo:INDIA TV हीरा कारीगर

रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध ने गुजरात के हीरा व्यापार की चमक फीकी कर दी है। दरअसल, इन देशों में लंबे समय से चल रहे युद्ध के कारण दुनिया में जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ा है। इससे गुजरात में तराशे गए हीरे की मांग में बड़ी कमी आई है। मांग गिरने से गुजरात की हीरा इंडस्ट्री मुश्किल में पड़ गई है। मिली जानकारी के अनुसार, नौबत इतनी खराब हो गई है कि कई कंपनियों में कारीगरों को कंपनी से निकाल दिया गया है। वहीं, हजारों श्रमिकों पर छंटनी की तलवार लटक रही है। उन्हें कभी भी काम पर आने से मना किया जा सकता है। आपको बता दें कि सूरत शहर अकेला 6 लाख हीरा कारीगरों को नौकरी मुहैया करवाता है। वहीं शेष गुजरात सिर्फ 3 लाख कारीगरों को ही नौकरी मुहैया करवाता है।

कई कंपनियों ने काम रोका 

आपको बता दें कि नेचुरल तराशे गए हीरों की दुनिया की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी किरण जेम्स एंड डायमंड्स सहित गुजरात के सूरत में कई हीरा यूनिट्स ने 17 अगस्त से 28 अगस्त तक 10 दिनों के लिए परिचालन बंद करने का फैसला किया है। किरण जेम्स में वर्तमान में 50,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश सूरत में कार्यरत हैं। कई कंपनियां अपने श्रमिकों को लंबी छुट्टियां लेने का विकल्प चुन रही हैं और अन्य ने काम के घंटे कम करने या कार्यदिवस कम करने का फैसला किया है। इसकी वजह कंपनियों के पास बढ़ता अनसोल्ड इन्वेंट्री, गिरती कीमतें, रूस-यूक्रेन युद्ध और घटते निर्यात हैं। बताते चलें कि वर्तमान में, लगभग 3,500 हीरा काटने और चमकाने वाली इकाइयां सूरत में चालू हैं। कई इकाइयां काम के घंटे कम करके संकट का सामना कर रही हैं।

Diamond Workers

Image Source : FILE
हीरा कारीगर

हफ्ते में दो से तीन दिन की छुट्टियां दे रहे

काम नहीं होने से सूरत में फैक्ट्रियों में श्रमिकों को एक हफ्ते में दो से तीन दिन की छुट्टी दी जा रही हे। नाम न बताने की शर्त पर एक कारोबारी ने कहा कि कुछ हीरा कारीगर दूसरे क्षेत्रों में रोजगार की तलाश कर रहे हैं। हालात खराब होते देख कारोबारियों ने गुजरात सरकार से मंदी के कारण अपनी नौकरी खो चुके हीरा कारीगरों और आत्महत्या करने वालों के लिए वित्तीय राहत पैकेज की घोषणा करने का आग्रह किया है। सूरत के हीरा उद्योग में लगभग 800,000 श्रमिक कार्यरत हैं, जो 5,000 से अधिक प्रसंस्करण इकाइयों के माध्यम से देश के 80% कच्चे हीरों की कटाई और पॉलिशिंग का काम संभालते हैं। 

रूस के युद्ध में फंसे होने से संकट गहराया 

देश में रूस से सालाना करीब 80 हजार करोड़ रुपये के रफ डायमंड इंपोर्ट होते थे। यूक्रेन के साथ युद्ध में फंसे होने से रूसी हीरे का इंपोर्ट गिरा है। इससे सूरत में हीरा कारीगरों के पास काम नहीं है। एक अनमान के अनुसार देश में रफ डायमंड का इंपोर्ट 29% गिर गया है। अगर रूस से हीरा इंपोर्ट इसी तरह गिरता रहा है तो आगे हालात और खराब होने की आशंका है। बता दें कि देश में तैयार पॉलिश्ड हीरे में से तीन चौथाई से अधिक हीरा अमेरिका, UAE और हॉन्गकॉन्ग को निर्यात किया जाता है। 

रत्न एवं आभूषण निर्यात 3 साल के निचले स्तर पर पहुंचा

भारतीय रत्न एवं आभूषण उद्योग में भारी मंदी का दौर चल रहा है। भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) द्वारा वित्त वर्ष 24 के लिए प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, रत्न एवं आभूषणों का कुल सकल निर्यात 32.02 बिलियन डॉलर (2.63 लाख करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष के आंकड़ों की तुलना में लगभग 15% की गिरावट दर्शाता है। वित्त वर्ष 24 में सकल आयात भी लगभग 14% घटकर 22.27 बिलियन डॉलर (1.83 लाख करोड़ रुपये) रह गया। यह तीन साल का निम्नतम स्तर है। 

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