Nirmala Sitharaman Lab Diamond: सरकार ने प्रयोगशाला में बनाए जाने वाले हीरों के लिए कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होने वाले ‘सीड्स’ के आयात पर शुल्क में कटौती करने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए कहा कि भारत प्राकृतिक हीरों की कटिंग एवं पॉलिश में वैश्विक केंद्र बन चुका है और इस समय मूल्य के लिहाज से वैश्विक कारोबार में तीन-चौथाई योगदान देता है। प्राकृतिक हीरों के भंडार में गिरावट आने से हीरा उद्योग अब प्रयोगशाला में विकसित हीरों (एलजीडी) की तरफ बढ़ रहा है और इसमें काफी संभावनाएं हैं। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए एलजीडी के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले सीड्स पर बुनियादी आयात शुल्क घटाए जाने का प्रस्ताव किया जाता है।
लंबे समय से व्यापारी कर रहे थे इसकी मांग
रत्न एवं आभूषण निर्यातक सरकार से कृत्रिम हीरों के कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाने की मांग लंबे समय से करते रहे हैं। इस उद्योग से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि प्रयोगशाला में बनाए गए हीरों का इस्तेमाल बढ़ने से उनकी लागत घटेगी और लाभप्रद विकल्प तैयार हो पाएगा। कृत्रिम हीरों का उत्पादन प्रयोगशालाओं में एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से किया जाता है। इसमें कच्चे माल के तौर पर एक सीड का इस्तेमाल होता है।
कैसे तैयार होता है लैब में हीरा?
अभी तक कई लोग सिर्फ यही जानते हैं कि हीरे का उत्पादन नहीं होता है। उसे हीरे की खान से निकाला जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मानव ने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जो हीरों को लैब में तैयार कर देती है। ऐसे हीरों को लैब ग्रोन डायमंड्स कहा जाता है। जब कार्बन के कई अणु उच्च तापमान और अधिक दबाव पर जोड़े जाते हैं तब हीरे का निर्माण होता है। इंसानों के ऊतकों (Tissue) से भी हीरा बनाया जाता है। क्योंकि हीरे को बनाने के लिए कार्बन की जरूरत पड़ती है और दुनिया के सभी जीव कार्बन के बने होते हैं। यही वजह है कि मरे हुए जीवों के बॉडी से कार्बन को जमा कर के लैब में हीरा तैयार किया जाता है।
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