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10 विदेशी एयरलाइंस कंपनियों को जीएसटी चोरी के मामले में DGGI ने भेजा समन, जानें पूरी बात

डीजीजीआई का कहना है कि विदेश से आने वाली सेवाएं रिवर्स चार्ज सिस्टम के तहत जीएसटी के लिए उत्तरदायी थीं, जिसका भुगतान इन एयरलाइंस ने नहीं किया है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: February 15, 2024 20:40 IST
सभी एयरलाइंस अक्टूबर 2023 से जांच के दायरे में हैं। - India TV Paisa
Photo:FILE सभी एयरलाइंस अक्टूबर 2023 से जांच के दायरे में हैं।

भारत में ऑपरेट करने वाली दस विदेशी एयरलाइन कंपनियों पर जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने अपना शिकंजा कसा है। इन पर जीएसटी चोरी करने का आरोप है। एक बड़ी कार्रवाई में, डीजीजीआई ने गुरुवार को इस सभी एयरलाइन को समन भेजा है। विदेशी एयरलाइनों द्वारा माल और सेवा कर (जीएसटी) के रिसाव को रोकने के लिए यह कार्रवाई की गई है।

टैक्स चोरी के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा 

खबर के मुताबिक, डीजीजीआई ने कंपनियों के मुख्य कार्यालय से सेवाओं के आयात के कारण कथित टैक्स चोरी के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। इन सभी विदेशी एयरलाइंस के साथ डीजीजीआई बातचीत भी कर रही है। सीएनबीसी-टीवी18 की खबर के मुताबिक,जीएसटी व्यवस्था के तहत जांच शाखा, डीजीजीआई का कहना है कि विदेश से आने वाली सेवाएं रिवर्स चार्ज सिस्टम के तहत जीएसटी के लिए उत्तरदायी थीं, जिसका भुगतान इन एयरलाइंस ने नहीं किया है।

इन एयरलाइन को मिला है समन

जिन एयरलाइनों को समन मिला है, उनमें ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्थांसा (जर्मन एयरलाइंस), सिंगापुर एयरलाइंस, एतिहाद एयरवेज, थाई एयरवेज, कतर एयरवेज, सऊदी अरब एयरलाइंस, अमीरात, ओमान एयरलाइंस, एयर अरेबिया के भारतीय कार्यालय शामिल हैं। जांच डीजीजीआई मेरठ और मुंबई जोन द्वारा की गई है। ये सभी एयरलाइंस अक्टूबर 2023 से जांच के दायरे में हैं। सूत्रों ने संकेत दिया था कि इन विदेशी एयरलाइनों के भारतीय कार्यालय जीएसटी नियमों का पालन नहीं कर रहे थे।

ये एयरलाइन मांग रहे और समय

सूत्रों ने कहा कि ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्थांसा (जर्मन एयरलाइंस), सिंगापुर एयरलाइंस, एतिहाद एयरवेज, थाई एयरवेज, कतर एयरवेज, सऊदी अरब एयरलाइंस, एमिरेट्स, ओमान एयरलाइंस और एयर अरेबिया के भारतीय कार्यालय अभी तक डीजीजीआई में वापस नहीं आए हैं। स्पष्टीकरण और समन का जवाब देने के लिए वे और समय मांग रहे हैं। हालांकि, टैक्स विशेषज्ञों का इस मामले पर अपना नजरिया है। उनका मानना है कि भारतीय शाखा कार्यालय द्वारा भुगतान किया गया प्रत्येक पैसा सिर्फ इसलिए टैक्स के अधीन नहीं होगा क्योंकि पैसा भारत से भेजा गया है।

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