Monday, November 25, 2024
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होम लोन के ब्याज पर 100% टैक्स छूट की मांग, क्रेडाई ने कहा- किफायती आवास की लिमिट को 80 लाख रुपये तक बढ़ाए सरकार

क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने 25वें स्थापना दिवस के मौके पर ये भी सुझाव दिया कि सरकार को किफायती और मध्यम आय वर्ग के लिए आवास की मांग को बढ़ावा देने के लिए 75-80 लाख रुपये तक की लागत वाले निर्माणाधीन मकानों पर 1 प्रतिशत जीएसटी लगाना चाहिए।

Edited By: Sunil Chaurasia
Updated on: November 25, 2024 16:15 IST
जीएसटी को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने की भी मांग - India TV Paisa
Photo:REUTERS जीएसटी को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने की भी मांग

रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई ने सोमवार को सरकार से होम लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स एक्ट के तहत 100% टैक्स छूट की मांग की। क्रेडाई ने किफायती और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए घरों की मांग को बढ़ावा देने के लिए ये मांग रखी है। अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहे क्रेडाई ने अगले एक साल में 1,000 स्कूल खोलने की भी घोषणा की। क्रेडाई यानी कनडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया) ने ये भी मांग की है कि किफायती आवास की लिमिट को मौजूदा 45 लाख रुपये से बढ़ाकर कम-से-कम 75-80 लाख रुपये किया जाना चाहिए।

जीएसटी को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने की भी मांग 

क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने 25वें स्थापना दिवस के मौके पर ये भी सुझाव दिया कि सरकार को किफायती और मध्यम आय वर्ग के लिए आवास की मांग को बढ़ावा देने के लिए 75-80 लाख रुपये तक की लागत वाले निर्माणाधीन मकानों पर 1 प्रतिशत जीएसटी लगाना चाहिए। वर्तमान में, 45 लाख रुपये तक की कीमत वाले निर्माणाधीन किफायती घरों पर 1 प्रतिशत जीएसटी लगता है। वहीं 45 लाख रुपये से ज्यादा लागत वाले निर्माणाधीन घरों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है। कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं उठा सकती हैं। 

साल 2017 में दी गई थी किफायती आवास की परिभाषा

उन्होंने कहा, ‘‘किफायती आवास की परिभाषा 2017 में दी गई थी। इसमें 45 लाख रुपये की सीमा तय की गई। अगर हम 2017 के बाद से सालाना मुद्रास्फीति पर विचार करें, तो इस सीमा को 75-80 लाख रुपये तक संशोधित करने की जरूरत है।’’ ईरानी ने कहा कि अगर किफायती आवास की परिभाषा बदली जाती है तो संभावित घर खरीदारों को कम जीएसटी का लाभ मिलेगा। क्रेडाई अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को दूसरे विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए और किफायती आवास की परिभाषा में कीमत की लिमिट को पूरी तरह से हटा देना चाहिए। इसकी जगह एकमात्र मानदंड महानगरों में 60 मीटर और मझोले तथा छोटे शहरों में 90 मीटर का कारपेट एरिया होना चाहिए। 

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