दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को फोर्टिस ट्रेडमार्क की नीलामी का आदेश दिया। यह मामला जापानी दवा कंपनी दाइची सैंक्यो के पक्ष में और रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तकों के खिलाफ पारित 3,500 करोड़ रुपये के मध्यस्थता निर्णय से जुड़ा है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने दाइची सैंक्यो की तरफ से दायर एक अर्जी पर आदेश पारित किया। इसमें फोर्टिस ट्रेडमार्क की बिक्री की मांग की गई थी। इसका स्वामित्व आरएचसी हेल्थकेयर मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के पास है जो इस मामले में निर्णय देनदारों में से एक है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, दाइची सैंक्यो की तरफ से दायर याचिका के साथ यह अर्जी लगाई गई थी।
फैसले को लागू करने की अपील की गई थी
खबर के मुताबिक, इस याचिका में अप्रैल, 2016 में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर बंधुओं- मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह के खिलाफ और दाइची सैंक्यों के पक्ष में पारित 3,500 करोड़ रुपये के सिंगापुर मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले को लागू करने की अपील की गई थी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस अदालत से संबंधित संयुक्त रजिस्ट्रार (न्यायिक) निर्णय देनदारों की उपरोक्त संपत्ति यानी फोर्टिस ट्रेडमार्क की सार्वजनिक नीलामी के साथ आगे बढ़ेंगे और एक उद्घोषणा जारी करेंगे।
191.5 करोड़ रुपये की राशि की हो सकती है वसूली
दाइची के वकील ने कहा कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण का फैसला पक्ष में आने के बावजूद अभी तक केवल एक छोटी राशि ही वसूली की जा सकी है। सुनवाई के दौरान कहा गया कि फोर्टिस ट्रेडमार्क की नीलामी होती है तो कम से कम 191.5 करोड़ रुपये की राशि की वसूली हो सकती है। फोर्टिस हॉस्पिटल्स लिमिटेड ने पहले इसपर आपत्ति जताई थी लेकिन बाद में उसके वकील ने आपत्ति वापस ले ली। अदालत ने संयुक्त रजिस्ट्रार (न्यायिक) को नीलामी प्रक्रिया के समापन पर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा।
सिंगापुर के एक न्यायाधिकरण ने 2016 में दाइची के पक्ष में 3,500 करोड़ रुपये का मध्यस्थता निर्णय दिया था। उसने सिंह बंधुओं को अपनी कंपनी की बिक्री के समय उसके खिलाफ अमेरिका में जांच चलने के बारे में जानकारी छिपाने के लिए हर्जाना देने का भी आदेश दिया था।