विपणन वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों (नवंबर-जुलाई) में भारत का खाद्य तेल आयात मामूली 1.6 प्रतिशत घटकर 119.35 लाख टन रह गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार, नवंबर 2023-जुलाई 2024 की अवधि के दौरान खाना पकाने के तेलों का आयात 1,19,35,227 टन रहा। जबकि विपणन वर्ष 2022-23 की इसी अवधि में यह 1,21,22,711 टन था। तेल विपणन वर्ष नवंबर से अक्टूबर तक चलता है। भारत की 50 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल की मांग आयात के माध्यम से पूरी की जाती है। एसईए के आंकड़ों से पता चलता है कि हालांकि, गैर-खाद्य तेलों का आयात 1,32,242 टन से बढ़कर 1,88,955 टन हो गया। चालू तेल वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान वनस्पति तेलों (खाद्य और गैर-खाद्य तेलों) का कुल आयात 121.24 लाख टन रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 122.55 लाख टन की तुलना में एक प्रतिशत कम है।
रिफाइंड खाद्य तेल का आयात 7% घटा
तेल वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों में भारत ने 15,18,671 टन रिफाइंड खाद्य तेल का आयात किया, जो पिछले तेल वर्ष की इसी अवधि के दौरान आयात किए गए 16,40,960 टन से सात प्रतिशत कम है। कच्चे खाद्य तेलों का आयात 1,04,81,751 टन से एक प्रतिशत घटकर 1,04,16,556 टन रह गया। तेल वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों के दौरान कुल पाम ऑयल आयात चार प्रतिशत घटकर 68,45,097 टन रह गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 71,17,834 टन था। इसके विपरीत, सॉफ्ट ऑयल का आयात 50,04,877 टन से बढ़कर 50,90,131 टन हो गया। इंडोनेशिया और मलेशिया भारत को आरबीडी पामोलिन और कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के प्राथमिक आपूर्तिकर्ता हैं। कच्चे सोयाबीन डीगम्ड तेल का आयात मुख्य रूप से अर्जेंटीना और ब्राजील से किया जाता है, जबकि कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात रूस, रोमानिया, यूक्रेन और अर्जेंटीना से किया जाता है।
कपड़ा निर्यात में आया उछाल
भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात जुलाई में सालाना आधार पर 4.73 प्रतिशत बढ़कर 293.75 करोड़ डॉलर हो गया है। भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) ने गुरुवार को कहा कि निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से परिधानों की मांग बढ़ने के कारण हुई। सीआईटीआई ने कहा कि कपड़ा एवं परिधान निर्यात पिछले साल जुलाई में 280.50 करोड़ डॉलर था। जुलाई में कपड़ा निर्यात पिछले साल के 166.30 करोड़ डॉलर की तुलना में स्थिर होकर 166.03 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया, जबकि इस महीने के दौरान परिधान निर्यात 11.84 प्रतिशत बढ़कर 127.72 करोड़ डॉलर हो गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 114.19 करोड़ डॉलर था।