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भारत की GDP आंकड़ों को लेकर बहुत गलतफहमी! सरकार ने बताई ये सबसे बड़ी वजह

2022-23 की तीसरी तिमाही के लिए कल शाम जारी किए गए आंकड़ों को लेकर बहुत गलतफहमी है क्योंकि इसके साथ पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों में संशोधन भी किया गया।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: March 01, 2023 13:40 IST
GDP Growth- India TV Paisa
Photo:FILE GDP Growth

कारोना के बाद बाउंसबैक की उम्मीद कर रहे देश को आर्थिक तरक्की के ताजा आंकड़ों से धक्का लगा है। मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.4 प्रतिशत रही है। वहीं वार्षिक आर्थिक ग्रोथ के लिए 7 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है। लेकिन आंकड़े जारी होने के अगले ही दिन सरकार की ओर से इसे लेकर सफाई आ गई है। 

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 की दिसंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र और निजी खपत व्यय का प्रदर्शन अधिक आधार प्रभाव के कारण ''घटा हुआ'' लग रहा है। नागेश्वरन के अनुसार पिछले तीन वित्त वर्षों के आंकड़ों में संशोधन के कारण जीडीपी वृद्धि का आधार बढ़ गया था। 

कल जारी हुए थे आंकड़े 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने मंगलवार को पिछले तीन वित्त वर्षों- 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों को संशोधित किया। इसके साथ ही 2022-23 के लिए जीडीपी का दूसरा अग्रिम अनुमान भी जारी किया। एनएसओ ने 2021-22 के लिए वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 9.1 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह 2020-21 के लिए वृद्धि दर को ऊपर की ओर संशोधित करते हुए ऋणात्मक 6.6 प्रतिशत से ऋणात्मक 5.8 प्रतिशत कर दिया गया। वर्ष 2019-20 के लिए भी वृद्धि को संशोधित कर 3.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.9 प्रतिशत कर दिया गया है। 

वार्षिक ग्रोथ 7 प्रतिशत पर स्थिर

2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि के दूसरे अग्रिम अनुमान को सात प्रतिशत पर बरकरार रखा गया था। आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 1.1 प्रतिशत की कमी आई और निजी उपभोग व्यय घटकर 2.1 प्रतिशत रह गया। नागेश्वरन ने कहा कि आंकड़ों में संशोधन के कारण आधार प्रभाव बढ़ गया। इस कारण विनिर्माण क्षेत्र और निजी उपभोग व्यय में कमी हुई।

आंकड़ों को लेकर गलतफहमी

उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ होता तो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विनिर्माण 3.8 प्रतिशत की दर से और निजी उपभोग व्यय छह प्रतिशत की दर से बढ़ता। वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही के लिए कल शाम जारी किए गए आंकड़ों को लेकर बहुत गलतफहमी है क्योंकि इसके साथ पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों में संशोधन भी किया गया।

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