
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ टेरर से दुनियाभर के बाजार में भारी बिकवाली है। आज भारतीय बाजार में भी ब्लडबाथ देखने को मिल रहा है। निवेशकों के बाजार खुलते ही 19 लाख करोड़ रुपये से अधिक डूब गए हैं। आगे भी बाजार का मूड कैसा होगा यह कहना मुश्किल है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि ट्रंप का टैरिफ टेरर सिर्फ शेयरों पर देखने को मिल रहा है। तमाम क्रिप्टोकरेंसी में भारी गिरावट है। पिछले हफ्ते ट्रंप द्वारा वैश्विक टैरिफ की घोषणा किए जाने के बाद से बिटकॉइन की कीमत में 11 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। सोमवार को बिटकॉइन 76,881 डॉलर पर कारोबार कर रहा है। जनवरी में, जिस दिन ट्रंप ने शपथ ली थी, उस दिन बिटकॉइन 110,000 डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा था।
मार्केट कैप में बड़ी गिरावट
CoinMarketCap के आंकड़ों के अनुसार, 7 अप्रैल को वैश्विक क्रिप्टो बाजार पूंजीकरण (एम-कैप) 2.5 खरब डॉलर है, जो पिछले 24 घंटों में 6.59 प्रतिशत की कमी है। क्रिप्टो में विशेषज्ञता रखने वाले वेंचर इन्वेस्टर हसीब कुरैशी ने रविवार को सोशल मीडिया पर लिखा, "क्रिप्टो अजीब है, लेकिन यह ज्यादातर आशावाद और जोखिम उठाने की क्षमता से जुड़ा हुआ है।" "ट्रंप की चुप्पी के कारण यह आशावाद टूट रहा है।"
ट्रंप के आने से आया था बड़ा उछाल
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के बाद क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बड़ा उछाल आया था। इसकी वजह ट्रंप के वादे थे। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने डिजिटल एसेट इंडस्ट्री से किए गए अपने कई वादे पूरे किए हैं। उन्होंने क्रिप्टो के लिए अनुकूल विनियामक अधिकारियों को नियुक्त किया और यहां तक कि संघीय बिटकॉइन रिजर्व के विकास के लिए एक कार्यकारी आदेश भी जारी किया। इसके अलावा, उन्होंने अपना खुद का मेमेकॉइन लॉन्च किया है। इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी में जबरदस्त तेजी आई। हालांकि, दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लागू करने के बाद बाजार का मूड बदल गया। जैसे-जैसे टैरिफ वैश्विक अर्थव्यवस्था में फैलने लगी हैं, इसका असर डिजिटल एसेट पर भी पड़ रहा है। निवेशक जो कभी टंप के क्रिप्टो को अपनाने की सराहना करते थे, अब बाजार में गिरावट के कारण निराश हो रहे हैं।