Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. कच्चा तेल 100 डॉलर के पार जाएगा! राज्यों के चुनाव के बाद जानिए कितना महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल

कच्चा तेल 100 डॉलर के पार जाएगा! राज्यों के चुनाव के बाद जानिए कितना महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल

इंडिया इंफोलाइन के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी और करेंसी) अनुज गुप्ता ने इंडिया टीवी को बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में बीते दो महीने से लगातार तेजी है।

Written by: Alok Kumar @alocksone
Updated on: January 13, 2022 16:09 IST
कच्चा तेल - India TV Paisa
Photo:INDIA TV

कच्चा तेल 

Highlights

  • 85 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंचा ब्रेंट क्रूड वैश्विक बाजार में उछलकर
  • 50 फीसदी का उछाल आया है कच्चे तेल की कीमतों में साल 2021 में
  • 85 फीसदी कच्चे तेल की आपूर्ति आयत से करता है भारत अपनी जरूरत का

नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है। यह कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने और मांग बढ़ने से होगा। ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो भारत में पेट्रोल—डीजल के दाम पांच राज्यों में चुनाव के बाद 10 से 15 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं। चुनाव के कारण ही कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद बीते 70 दिनों से घरेलू बाजार में ईंधन के दाम स्थिर हैं। 

कम से कम ​प्रति लीटर 10 रुपये की तेजी संभव 

इंडिया इंफोलाइन के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी और करेंसी) अनुज गुप्ता ने इंडिया टीवी को बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में बीते दो महीने से लगातार तेजी है। नवंबर में 70 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर कच्चा तेल जनवरी, 2022 में 85 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है। वहीं, घरेलू बाजार में बीते 70 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कीमतों में यह बढ़ोतरी राजनीतिक कारणों से नहीं हुई है लेकिन मार्च में पांच राज्यों के चुनाव के बाद बड़ी बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है। मेरा अनुमान है कि भारत में पेट्रोल—डीजल की कीमत में 10 से 15 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। 

इसलिए आने वाले दिनों में आएगी तेजी 

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने इंडिया टीवी को बताया कि कच्चे तेल में बड़ा उछाल फरवरी से मार्च तक आएगा। ऐसा इसलिए होगा कि कोविड-19 के चलते वैश्विक तेल भंडार अपनी ऐतिहासिक ऊंचाई से निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, ओमिक्रॉन संकट का असर मामूली होने से जल्द ही इस साल तेल की मांग नई रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने के अनुमान है, जबकि उत्पादन उस अनुपात में नहीं बढ़ है। कोरोना संकट के कारण प्रमुख तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक 400,000 बैरल प्रति दिन उत्पादन बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है। वहीं, रूस समेत दूसरे तेल उत्पादक देश उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं कजाकिस्तान में बढ़ती अशांति और लीबिया में आपूर्ति ठप होने से आपू​र्ति प्रभावित हुई हैं। ये सारे कारण कच्चे तेल की कीमतों में और वृद्धि करेंगे।। 

वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी होगी 

कच्चे तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से न सिर्फ ईंधन के दाम बढ़ेंगे बल्कि वैश्विक अर्थव्यस्था को भी चपट लगेगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कोरोना के बाद पूरी दुनिया बढ़ती महंगाई से परेशान है। कच्चे तेल की आग महंगाई को और भड़काने का काम करेगी। यानी दुनिया में जरूरी सामानों के दाम और बढ़ेंगे। यह आम आदमी की बचत और खर्च पर असर डालेगी। इससे न सिर्फ आम आदमी पर बोझ बढ़ेगा बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी होगी। यह आर्थिक मंदी लाने का सबब बन सकती है। 

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement