Budget 2024 : रियल एस्टेट नियामक क्रेडाई ने आवासीय संपत्तियों की मांग को बढ़ावा देने के लिए बजट से पहले सरकार से एक डिमांड की है। क्रेडाई ने होम लोन पर मूल राशि के साथ-साथ ब्याज भुगतान पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने का आग्रह किया है। कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Credai) ने किफायती आवास की परिभाषा में बदलाव करने की भी मांग की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। चुनावी साल होने के चलते इस बार पूर्ण बजट की बजाए अंतरिम बजट आएगा। फिर भी आम लोग, खासकर टैक्सपेयर्स इस बजट से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं। जब भी देश का बजट पेश होता है, तो सबसे प्रमुख मांग टैक्सपेयर्स की ओर से उठती है। टैक्सपेयर्स हर बार यह उम्मीद करते हैं कि सरकार टैक्स में कुछ राहत दें। इस बार भी आम लोगों की वित्त मंत्री से कई मांगें है।
1.5 लाख की मौजूदा लिमिट को बढ़ाया जाए
क्रेडाई ने होम लोन के मूलधन के पुनर्भुगतान के लिए धारा 80 सी के तहत डिडक्शन की मौजूदा सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाने की मांग की है। वैकल्पिक रूप से यह सुझाव दिया गया कि होम लोन के मूलधन पुनर्भुगतान के लिए डिडक्शन को एक अलग या एकल छूट के लिए माना जाना चाहिए।
बदली जाए किफायती आवास की परिभाषा
इसके अलावा, क्रेडाई ने कहा कि किफायती आवास की परिभाषा 2017 में दी गई थी और तब से अभी तक नहीं बदली है। इसके अनुसार, किफायती आवास अधिकतम 45 लाख रुपये का होता है। क्रेडाई का कहना है, “महंगाई के कारण पिछले सात साल में रियल एस्टेट की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में जून 2018 से आवास दरों में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे डेवलपर्स के लिए 45 लाख रुपये की मौजूदा सीमा का पालन करना बेहद असंभव हो गया है।”