भारत में निर्मित कफ सीरप से अफ्रीकी और अरब देशों में बच्चों के बीमार पड़ने और मौतों के आरोप के बाद अब सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। कफ सिरप (Cough Syrup) निर्यातकों को एक जून से विदेश भेजने के पहले अपने उत्पादों का निर्धारित सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण कराना जरूरी होगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि निर्यात किए जाने वाले उत्पाद के नमूने का प्रयोगशाला में परीक्षण होने के बाद ही कफ सिरप का निर्यात करने की अनुमति मिलेगी। नई व्यवस्था एक जून से लागू हो जाएगी।
सरकार ने यह कदम भारत में बने कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर दुनिया भर में उठे सवालों के बाद उठाया है। पिछले साल गाम्बिया और उजबेकिस्तान में कफ सिरप पीने से हुई क्रमशः 66 एवं 18 बच्चों की मौत के लिए भारत-निर्मित कफ सिरप को कथित तौर पर दोषी बताया गया था। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से 17 अरब डॉलर के कफ सिरप निर्यात किए गए थे और यह राशि 2022-23 में बढ़कर 17.6 अरब डॉलर हो गई।
एक अधिकारी ने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात के पहले कफ सिरप की गुणवत्ता परखने का फैसला किया है। यह परीक्षण भारतीय औषधि संहिता आयोग, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं, और एनएबीएल से मान्यता-प्राप्त औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जा सकेगा।