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भारतीय अर्थव्यवस्था में दमदार तेजी के लिए कॉरपोरेट सेक्टर करें ये काम, मुख्य आर्थिक सलाहकार ने दी सलाह

उन्होंने कहा कि शेयर बाजार या वित्तीय संस्थानों के वित्तीय संसाधनों पर निर्भर हुए बिना भी कॉर्पोरेट क्षेत्र के पास इन निवेशों को करने और पुनर्संतुलन करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। वैश्विक मंदी और मध्य पूर्व और यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के कारण उत्पन्न आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेश में मंदी आई है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: December 08, 2023 8:19 IST
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन - India TV Paisa
Photo:FILE मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन

भारतीय अर्थव्यवस्था में दमदार तेजी बनी रहे, इसके लिए कॉरपोरेट सेक्टर को फंड पर बैठे रहने के बजाय और ज्‍यादा निवेश करने की जरूरत है। ये बातें मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कही हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी। नागेश्वरन ने कहा कि यह दशक अनिश्चितता का रहने वाला है। अगर कॉरपोरेट क्षेत्र अपने निवेश में देरी करता है, तो रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि में वृद्धि का चक्र हकीकत नहीं बन पाएगा। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे लगता है, जब मैं वास्तविक जीडीपी वृद्धि में औसतन साढ़े छह प्रतिशत हासिल करने की बात करता हूं, तो मैं इसमें तेजी को लेकर खुद को अचंभित होने को लेकर पर्याप्त जगह दे रहा हूं।

इन सेक्टर ने किया है शानदार प्रदर्शन

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। विनिर्माण, खनन और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.6 प्रतिशत रही है। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत थी। नागेश्वरन ने कहा कि निवेश और विनिर्माण के प्रति पुनर्संतुलन तब होगा जब निवेश चक्र उच्चस्तर पर पहुंच जाएगा जैसा कि सहस्राब्दी के पहले दशक में हुआ था।

निवेश करने से रोजगार के मौके बढ़ेंगे 

वी. अनंत नागेश्‍वरन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को निवेश और विनिर्माण की दिशा में संतुलित करने के लिए भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र को अधिक निवेश करने की जरूरत है। उनका संदेश स्पष्ट था कि कॉर्पोरेट्स को फंड पर बैठे रहने के बजाय निवेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निवेश शुरू करने से पहले मांग पैदा होने का इंतजार करने से ऐसी मांग की स्थिति उत्पन्न होने में देरी होगी। उन्होंने कहा कि निवेश से रोजगार, आय सृजन, उपभोग और बचत को निवेश में पुनर्चक्रित किया जाता है, इसलिए जितना अधिक कॉर्पोरेट क्षेत्र अपने निवेश में देरी करेगा, रोजगार सृजन, आय वृद्धि और अधिक बचत के लिए उपभोग वृद्धि का पुण्य चक्र साकार नहीं होगा। जैसे हालात हैं, निजी निवेश अपने महामारी-पूर्व के स्तर पर वापस नहीं आया है। रोजगार सृजन में कमी रही है, जबकि निवेश बुनियादी ढांचे और उपभोक्ता क्षेत्रों तक ही सीमित रहा है। यहां तक कि खपत में सुधार भी असमान रहा है क्योंकि ग्रामीण मांग पिछड़ रही है।

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