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SONY Mobile ने महिला कस्टमर का हैंडसेट नहीं किया रिपेयर, कंज्यूमर कोर्ट ने सुना दिया ये फरमान, जानें पूरी बात

कस्टमर ने सोनी मोबाइल के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में सेवा प्रमुख से भी कई बार ईमेल के माध्यम से संपर्क किया था, लेकिन 48 घंटे के भीतर शिकायत का समाधान करने के आश्वासन के बावजूद रिपेयर नहीं किया गया।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: August 01, 2024 20:32 IST
कोर्ट ने मुआवजा देने के अलावा 45 दिनों के भीतर मोबाइल हैंडसेट की मरम्मत करने का भी निर्देश दिया।- India TV Paisa
Photo:INDIA TV कोर्ट ने मुआवजा देने के अलावा 45 दिनों के भीतर मोबाइल हैंडसेट की मरम्मत करने का भी निर्देश दिया।

कंपनियों को कई बार कस्टमर्स की उपेक्षा करना महंगा पड़ जाता है। ऐसे ही एक मामले में उपभोक्ता अदालत ने सोनी मोबाइल को हैंडसेट की मरम्मत न करने पर महिला को 50,000 रुपये से अधिक का भुगतान करने का निर्देश दिया है। भाषा की खबर के मुताबिक, एक उपभोक्ता अदालत ने सोनी मोबाइल कम्युनिकेशन और असम में इसके दो बिक्री और सेवा आउटलेट को एक महिला को 50,000 रुपये से ज्यादा का भुगतान करने का निर्देश दिया, जिसका मोबाइल फोन कंपनी ने लगभग नौ साल पहले मरम्मत नहीं किया था।

45 दिनों के भीतर मुआवजा देने का निर्देश

खबर के मुताबिक, कामरूप के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 26 जुलाई को एक आदेश में सोनी मोबाइल कम्युनिकेशन, क्रिश्चियन बस्ती में इसके खुदरा आउटलेट सोनी सेंटर और राजगढ़ मेन रोड पर सोनी सर्विस सेंटर को 45 दिनों के भीतर मुआवजा देने का निर्देश दिया। आयोग ने तीनों आरोपी पक्षों को मामला दर्ज करने की तारीख से शारीरिक उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए शिकायतकर्ता नीना बैरागी को 10 प्रतिशत ब्याज के साथ 40,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, उन्हें कार्यवाही की लागत के रूप में शिकायतकर्ता को 10,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया।

साल 2016 में मामला हुआ दर्ज

आयोग ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अगर प्रतिवादियों द्वारा 45 दिनों के भीतर नियत राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो उन्हें राशि की वसूली तक राशि पर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा। साल 2016 में मामला दर्ज होने के बाद से लंबे समय तक चली सुनवाई और कार्यवाही के बाद आयोग ने सोनी मोबाइल को सेवा में कमी के लिए दोषी ठहराया और मुआवजा देने के अलावा 45 दिनों के भीतर मोबाइल हैंडसेट की मरम्मत करने का भी निर्देश दिया।

साल 2015 में 52,990 रुपये का खरीदा था हैंडसेट

खबर में बताया गया है कि बैरागी ने 10 अगस्त, 2015 को 52,990 रुपये का भुगतान करके सोनी सेंटर से सोनी मोबाइल हैंडसेट खरीदा था। एक महीने बाद, फोन उसके हाथ से गिर गया और नतीजा यह हुआ कि वह डिएक्टिवेट हो गया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने सोनी सर्विस सेंटर से संपर्क किया, लेकिन सर्विस इंजीनियर ने उन्हें बताया कि उक्त मॉडल की मरम्मत उपलब्ध नहीं है और एकमात्र विकल्प 25,000 रुपये की लागत से रिप्लेसमेंट ही है। बैरागी ने सोनी मोबाइल के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में सेवा प्रमुख से भी कई बार ईमेल के माध्यम से संपर्क किया था, लेकिन 48 घंटे के भीतर शिकायत का समाधान करने के आश्वासन के बावजूद ऐसा नहीं किया गया।

इसके बाद, उन्होंने असम के उपभोक्ता कानूनी संरक्षण फोरम में शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत के आधार पर फोरम ने कामरूप के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में मामला दर्ज कराया। तीनों प्रतिवादियों ने आयोग को दिए अपने लिखित बयान में शिकायत को तुच्छ बताया था और कहा था कि यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के हितकारी प्रावधान के घोर दुरुपयोग का उपयुक्त उदाहरण है।

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