Coins of the Indian rupee: भारत समेत कई देशों में करंसी के रूप में चलने वाले सिक्कों की खास पहचान होती है। इन सिक्कों से जुड़े कई ऐसे राज हैं, जिन्हें शायद ही आम लोग जानते होंगे। उदाहरण के लिए, भारत में सिक्कों को ढालने का काम सरकार के अधीन है, लेकिन इसे मार्केट में उतारने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास है। आइए जानते हैं सिक्कों से जुड़ी कुछ ऐसी ही अन्य रोचक बातें
प्रत्येक सिक्का कुछ कहता है
1, 2, 5 10, और 20 के सिक्कों से हमारा वास्ता रोज पड़ता है। लेकिन, इन सिक्कों पर लिखी हर बात और उन पर बना हर एक चिन्ह का एक मतलब होता है, जिससे ज्यादातर लोग अंजान होते हैं। सिक्का अधिनियम, 1906 के तहत सिक्के ढालने का एकमात्र अधिकार भारत सरकार का है। जो समय-समय पर विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों को जारी करने और ढलाई करवाने का भी काम करती है। जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अधिनियम के तहत मार्केट में सिक्के जारी होते हैं। सिक्का निर्माण अधिनियम, 1906 के अनुसार 1000 रुपए मूल्यवर्ग तक के सिक्के जारी किए जा सकते हैं।
क्या होती है टकसाल (मिंट)
टकसाल (मिंट) उस कारखाने को कहते हैं, जहां पर किसी देश की सरकार द्वारा या उसके दिए गए अधिकार से मुद्राओं का निर्माण होता है। भारत में चार मिंट हैं जिनके पास सिक्कों को बनाने का अधिकार है। इसमें मुंबई मिंट, कोलकाता मिंट, हैदराबाद मिंट और और नोएडा मिंट। यहीं से निकलकर के ये सिक्के मार्केट में आ जाते हैं। देश के सबसे पुराने मिंट में कोलकाता और मुंबई मिंट हैं। दोनों को साल 1859 में अंग्रेजी हुकूमत ने स्थापित किया था।
मुंबई मिंट
मुंबई मिंट भारत की सबसे पुरानी मिंट में से एक है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने किया था। उस वक्त भी मुंबई अंग्रेजों के आर्थिक पहलुओं के लिहाज से अच्छा क्षेत्र था। इसकी स्थापना 1829 में की गई थी। मुंबई मिंट में बने सिक्के यहां के बने हुए सिक्कों पर डायमंड शेप का डॉट बना होता है। यह ठीक सिक्के पर अंकित निर्माण वर्ष के नीचे होता है। 'B' मार्क सिक्के में लिखी डेट के नीचे बना 'B' मार्क भी मुंबई मिंट का ही होता है। 'M' मार्क 1996 के बाद से छप्पे कई सिक्कों में 'M' का निशान बन कर आने लगा। ये सिक्का भी मुंबई मिंट का ही होता है।
कोलकाता मिंट
कोलकाता मिंट की शुरुआत अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुई थी। साल 1859 में पहली बार इस टकसाल में सिक्के का निर्माण किया गया था। हालांकि, उस समय का बना सिक्का अंग्रेजी हुकूमत अपने साथ ही लेकर चली गई थी। कोलकाता मिंट में बने सिक्के पर कोई मिंट मार्क नहीं होता है। दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत के दौरान से ही कोलकाता मिंट में जो सिक्के बनते थे, उन पर कोई मार्क नहीं होता था। जबकि, मुंबई मिंट शुरू होने के बाद उनमें मार्क का इस्तेमाल किया गया था।
हैदराबाद मिंट
हैदराबाद मिंट साल 1903 में हैदराबादी निजाम की सरकार ने स्थापित किया था। साल 1950 में भारत सरकार ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था। हैदराबाद मिंट में बने सिक्के हैदराबाद मिंट के सिक्कों पर तारीख के नीचे स्टार का मार्क बना होता है। जबकि किसी-किसी सिक्के में डॉट डायमंड शेप का मार्क भी होता है। सिक्के में लिखी डेट के नीचे डायमंड और उसके बीच में बना डॉट का मार्क हैदराबाद मिंट का ही होता है। हैदराबाद मिंट में बने सिक्कों में पहले स्टार मार्क इस्तेमाल होता था, जिसको बदलकर डायमंड शेप में लाया गया है।
नोएडा मिंट
नोएडा मिंट को 1986 में स्थापित किया गया था और 1988 से यहां से स्टेनलेस स्टील के सिक्कों का निर्माण शुरू हुआ था। नोएडा मिंट में बने सिक्के नोएडा मिंट के सिक्कों पर जहां छपाई का वर्ष अंकित किया जाता है, वहीं उसके ठीक नीचे छोटा और ठोस डॉट होता है। इसे सबसे पहले 50 पैसे के सिक्के पर बनाया गया था। इसके बाद इसे 1986 में अन्य सिक्कों पर ये मार्क अंकित किया जाना शुरू किया गया था।