Friday, October 18, 2024
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NDA की नई सरकार के लिए क्या होगी चुनौती क्या होगा आसान, जानिए फिच रेटिंग्स ने क्या अहम बातें बताईं

भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे क्योंकि यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास करती है, लेकिन ये लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं और एनडीए का कमजोर जनादेश इन कानूनों को पारित करना और जटिल कर देगा।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: June 06, 2024 17:24 IST
नई दिल्ली में गुरुवार को एनडीए की बैठक के मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और घटक दलों के प्- India TV Paisa
Photo:N CHANDRABABU NAIDU X POST नई दिल्ली में गुरुवार को एनडीए की बैठक के मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और घटक दलों के प्रमुख नेता।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सरकार गठन की दिशा में कदम बढ़ाने के बीच फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश महत्वाकांक्षी सुधारों पर कानून पारित करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है। फिच ने एक बयान में कहा कि हमारा मानना ​​है कि भूमि और श्रम कानूनों में बड़े सुधार नई सरकार के एजेंडे में बने रहेंगे क्योंकि यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास करती है, लेकिन ये लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं और एनडीए का कमजोर जनादेश इन कानूनों को पारित करना और जटिल कर देगा। यह भारत की मध्यम अवधि की वृद्धि संभावनाओं के संभावित लाभ को कम कर सकता है। भाजपा वर्ष 2014 से लगातार सत्ता में रही है लेकिन वह हालिया चुनाव में पहली बार अपने दम पर स्पष्ट बहुमत पाने में नाकाम रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार गठन की कोशिशों में लगी है।

व्यापक नीतिगत निरंतरता को बढ़ावा मिलना चाहिए

रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भाजपा सहयोगी दलों की मदद से पर्याप्त समर्थन जुटा लेगी ताकि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बने रहने के साथ सरकार बनाई जा सके। फिच रेटिंग्स ने कहा कि इस नतीजे से व्यापक नीतिगत निरंतरता को बढ़ावा मिलना चाहिए, क्योंकि सरकार बुनियादी ढांचे के पूंजीगत व्यय, कारोबारी माहौल में सुधार और धीरे-धीरे राजकोषीय मजबूती को प्राथमिकता देना जारी रखेगी। इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने कहा कि गठबंधन की राजनीति और कमजोर जनादेश सरकार के सुधारवादी एजेंडे के अधिक महत्वाकांक्षी हिस्सों के बारे में कानून पारित करना अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकता है।

जुलाई में पेश होगा पूर्ण बजट

फिच ने कहा कि हमें नहीं लगता कि चुनाव में हुए नुकसान से नीतिगत समायोजन में कोई बड़ा बदलाव आएगा, लेकिन जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट से आने वाले पांच वर्षों में आर्थिक सुधार की प्राथमिकताओं और राजकोषीय योजनाओं के बारे में अधिक स्पष्टता मिलनी चाहिए। फिच को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर सात प्रतिशत पर बनी रहेगी। भाषा की खबर के मुताबिक, फिच ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार के पास कम बहुमत होने के बावजूद वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत की मध्यम-अवधि वृद्धि हमारे अनुमान 6.2 प्रतिशत के आसपास रहेगी।

पीएलआई योजना बरकरार रहने का अमान

बुनियादी ढांचे पर जारी सार्वजनिक पूंजीगत व्यय अभियान, डिजिटलीकरण की पहल और महामारी-पूर्व की तुलना में बैंक एवं कंपनियों के बहीखाते में सुधार से निजी निवेश के लिए एक मजबूत दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा। रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना बरकरार रहेगी, जो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे लक्षित क्षेत्रों में विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद करेगी। हालांकि निजी निवेश में अभी तक सार्थक रूप से तेजी नहीं आई है, जो दृष्टिकोण के लिए जोखिम का प्रतिनिधित्व करता है। फिच का मानना ​​है कि देश के कुछ हिस्सों में राज्यों के स्तर पर भूमि और श्रम कानून सुधार आगे बढ़ते रहेंगे। न्यायिक सुधारों की भी कुछ संभावना है जो लागत कम करने और अदालती मामलों के समाधान में तेजी लाने पर ध्यान देंगे। फिच रेटिंग्स ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा।

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