Thursday, January 09, 2025
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CII को फरवरी में RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, इस बात पर दी विशेष ध्यान देने की सलाह

सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा कि सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है और खपत में भी तेजी आनी चाहिए, उन्होंने बताया कि सीआईआई को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jan 08, 2025 20:14 IST, Updated : Jan 08, 2025 20:14 IST
सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा कि सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है और खपत में भी तेजी आनी चाहिए।
Photo:FILE सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा कि सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है और खपत में भी तेजी आनी चाहिए।

इंडस्ट्री बॉडी भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का कहना है कि ऐसी उम्मीद है कि फरवरी में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) धीमी ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए बेंचमार्क ब्याज दरों में कटौती करेगा। साथ ही भी कहा कि आगामी बजट में श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए लक्षित हस्तक्षेपों के जरिये रोजगार सृजन को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सीआईआई अध्यक्ष संजीव पुरी ने बुधवार को यह बात कही। पुरी आईटीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी हैं।

बहुत जरूरी श्रम सुधारों को आगे बढ़ाने की उम्मीद

खबर के मुताबिक, सीआईआई के अध्यक्ष ने चिपचिपी खाद्य मुद्रास्फीति को चिह्नित किया, कृषि लचीलापन बनाने और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे के तहत ब्याज दरों से इसे अलग करने की जरूरत पर प्रकाश डाला, तर्क दिया कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण है और वास्तव में मौद्रिक नीति से प्रभावित नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करने वाली हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रमुख ने कहा कि उन्हें उम्मीद हैं कि सरकार द्वारा बहुत जरूरी श्रम सुधारों को आगे बढ़ाया जाएगा। इससे इकोनॉमी को फायदा होगा, ज्यादा रोजगार पैदा होंगे।

खपत में भी तेजी आनी चाहिए

सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा कि सार्वजनिक व्यय बढ़ रहा है और खपत में भी तेजी आनी चाहिए, उन्होंने बताया कि सीआईआई को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। पुरी ने भारत सहित ग्लोबल लेवल पर चीन द्वारा अतिरिक्त स्टॉक डंप करने का मुद्दा भी उठाया और सरकार से स्टील, पेपरबोर्ड, रसायन और पॉलिमर जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए न्यूनतम आयात मूल्य और एंटी-डंपिंग शुल्क को लागू करने के त्वरित तरीके पर विचार करने का आग्रह किया।

खाद्य मुद्रास्फीति को ब्याज दरों, मौद्रिक नीति से अलग किया जाना चाहिए

पुरी ने कहा कि वास्तव में, हम यह भी सुझाव दे रहे हैं कि मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे में, मुझे लगता है कि खाद्य मुद्रास्फीति को ब्याज दरों, मौद्रिक नीति से अलग किया जाना चाहिए। खाद्य मुद्रास्फीति जलवायु परिवर्तन के कारण है और वास्तव में मौद्रिक नीति से प्रभावित नहीं है। सीआईआई कई क्षेत्रों में श्रम सुधारों को देखने के लिए किसी प्रकार की संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने की सिफारिश करता है। पुरी ने परिधान, जूते, फर्नीचर, पर्यटन और रियल एस्टेट जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप शुरू करने का आह्वान किया, उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यटन को बुनियादी ढांचे की स्थिति से लाभ हो सकता है जबकि परिधान उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) 2.0 योजना से लाभान्वित हो सकते हैं।

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