Highlights
- हंबनटोटा बंदरगाह गंवा चुका श्रीलंका अब कंगाली की कगार पर है
- कोविड ने अर्थव्यवस्था चौपट की तो ये कर्जदार देश चीन की ग़ुलामी को बढ़ चले
- चीन की कुटिल चाल में फंस कर आर्थिक स्तर पर पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं
चीन से दोस्ती कितनी भारी पड़ती है इसकी मिसाल श्रीलंका से देखने को मिल रही है। हंबनटोटा बंदरगाह गंवा चुका श्रीलंका अब कंगाली की कगार पर है। दरअसल चीन ने 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' से दुनिया के सभी छोटे और कुछ बड़े देशों को अपने चंगुल में फंसा लिया है। इन देशों को कोविड से पहले चीन ने निवेश के नाम पर इतना कर्ज दिया कि वहां की अब अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी।
कोविड ने अर्थव्यवस्था चौपट की तो ये कर्जदार देश चीन की ग़ुलामी को बढ़ चले। श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश तो चीन किसी कुटिल चाल में फंस कर राजनीतक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरीके से बर्बाद हो चुके हैं। विदेशी मामलों के जानकार कहते हैं कि अब चीनी कर्ज से लदे देशों को उसकी कुटिल चाल से बचने के लिए सोचना होगा।
बीआरआई को बनाया हथियार
चीन ने कोविड के पहले दुनिया के अलग-अलग छोटे बड़े और विकासशील समेत गरीब मुल्कों मे ऐसी साजिश रची कि आधी दुनिया उसके झांसे में आ गई। वे कहते हैं कि दरअसल चीन में बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के माध्यम से ऐसा जाल फेंका।चीन ने 2013-14 में पूरी दुनिया में व्यापार को सड़कों और समुद्री मार्गों से सुगम बनाने का खाका तैयार किया। जिसका नाम बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव रखा। इस रोडमैप के मुताबिक चीन ने जो मॉडल प्रस्तुत किया, उसमें पूरी दुनिया के देशों को एक रास्ते से जोड़ने का पूरा प्लान था। चीन ने इसी योजना के तहत ऐसे देशों में जमकर निवेश किया। यह निवेश चीन ने इन देशों में बराबर की भागीदारी के तहत क़िया।
चीन की भागीदारी का मतलब यह था कि जितना निवेश चीन उस देश में कर रहा है, वह कर्ज की तरह माना जाएगा। जिसे चीन को वापस करना होगा। चीन ने यही दांव खेलकर दुनिया के कई देशों को अपने जाल में फंसा लिया। इसमें फंसने वाले देशों में सबसे बुरा हाल श्रीलंका और पाकिस्तान का हुआ। जबकि एशिया के कई मुल्क अभी भी चीन की इस खतरनाक साजिश के शिकार होने की कगार पर हैं।
ये देश हुए बरबाद
चीन की सड़क परियोजना में पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, इस्राइल और रूस में चीन ने अच्छा खासा निवेश भी किया। एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान में 40 अरब डॉलर, नाइजीरिया में 23 अरब डॉलर, बांग्लादेश में 18 अरब डॉलर, इंडोनेशिया में 26 अरब डॉलर, मलेशिया में 30 अरब डॉलर, मिस्र में 16 अरब डॉलर, यूएई में 15 अरब डॉलर, सिंगापुर में 25 अरब डॉलर समेत रूस में 11 अरब डॉलर समेत इस्राइल में 8 अरब डॉलर का बड़ा निवेश किया। इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान में सिल्क रोड फंड के माध्यम से कई परियोजनाओं के लिए 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर का न सिर्फ कर्ज दिया बल्कि उसे डेवलपमेंट की योजनाओं का नाम भी दिया।