चीन हमेशा से ही दुनिया को चौंकाता रहा है। लेकिन 2022-23 के दौरान चीन ने कुछ ऐसा किया जिससे अमेरिका और यूरोप के होश उड़ गए हैं। चीन पर अमेरिका के दबाव और यूरोपीय संघ द्वारा दूरी बनाने के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर ड्रैगन की धाक दुनिया भर में बढ़ गई है। निर्यात के ताजा आंकड़ों के अनुसार चीन से विदेशों को होने वाला निर्यात 14 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया है। चीन की इस सफलता में अमेरिका के दुश्मन रूस के साथ ही अमेरिका का पड़ोसी देश कनाडा का भी बड़ा योगदान रहा है।
14.8 प्रतिशत बढ़ा निर्यात
ताजा आंकड़ों के अनुसार यूरोपीय और अमेरिकी मांग में गिरावट के बावजूद मार्च में चीन का निर्यात अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। चीन के सीमा शुल्क विभाग के आंकड़ों के अनुसार, एक साल पहले की तुलना में मार्च में चीन का निर्यात 14.8 प्रतिशत बढ़कर 315.6 अरब डॉलर हो गया। जनवरी और फरवरी में चीन का निर्यात 6.8 प्रतिशत घटा था। वहीं चीन का आयात मार्च में 1.4 प्रतिशत घटकर 227.4 अरब डॉलर रह गया। इससे पिछले दो माह में चीन का आयात 10.2 प्रतिशत घटा था।
इन देशों से बढ़ा कारोबार
चीन का राजनीतिक रूप से संवेदनशील वैश्विक व्यापार अधिशेष माह के दौरान एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 82 प्रतिशत बढ़कर 88.2 अरब डॉलर हो गया। फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से अमेरिका और 27 देशों के यूरोपीय संघ को चीन का निर्यात घटा है। हालांकि, कनाडा, इंडोनेशिया, रूस और अन्य बाजारों को निर्यात में दो अंकीय वृद्धि से इसकी भरपाई हो गई।
"Made in India" की धाक
वैश्विक संकट के बीच भी भारत में बने प्रोडक्ट की दुनिया भर में मांग तेजी से बढ़ी है। सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार बीते वित्त वर्ष 2022-23 में भारत से होने वाले निर्यात में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। देश का निर्यात बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 6 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 447 अरब डॉलर रहा। यदि निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुओं की बात करें तो मुख्य रूप से पेट्रोलियम, औषधि, रसायन तथा समुद्री उत्पादों के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन से निर्यात अच्छा रहा है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में निर्यात 422 अरब डॉलर था। गोयल ने कहा कि वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात नई ऊंचाई पर पहुंचा है और 2022-23 में 14 प्रतिशत बढ़कर 770 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले 676 अरब डॉलर था