Highlights
- चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल घटकर 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है।
- चीन सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक समान बनाता है।
चीन (China) में घरेलू और और वैश्विक कारणों से आर्थिक वृद्धि में नरमी देखी जा रही है, जो भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (Manufacturing Sector) के लिये एक शानदार मौका है। इसको देखते हुए देश को निवेश आकर्षित करने और वैकल्पिक वैश्विक आपूर्ति केंद्र के रूप में उभरने के लिये अपने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत है। हालांकि भारत सरकार इसको लेकर एक पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) पर काम कर रही है जो कंपनियों को ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट (Export) करने पर इंसेंटिव देता है। चलिए उन सेक्टर पर नजर डालते हैं जो चीन के विकास में आई नरमी को एक बड़ी अपॉर्चुनिटी में भूना सकते हैं।
चीन में कैसी है स्थिति?
कोविड महामारी की रोकथाम के लिये लगातार ‘लॉकडाउन’ के कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल घटकर 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके अलावा, ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव भू-राजनीतिक अस्थिरता में बदल सकता है। इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से कच्चे माल और उपकरणों की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2022 के लिये चीन की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि पूर्व में इसके 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी।
क्या है पीएलआई स्कीम?
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है, जो भारत के 14 सेक्टर के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य इन सेक्टरों में मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके लिए सरकार ने 1.97 लाख रुपये की राशि तय की है जो मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट बढ़ाने पर इंसेंटिव के तौर पर दी जाएगी। इस योजना की शुरुआत मार्च 2020 में हुई थी, तब तीन सेक्टर को इसमें शामिल किया गया था। उसके बाद इसका विस्तार कर नवंबर 2020 में 13 सेक्टर कर दिया गया है। पिछली बार सितंबर 2021 में सरकार ने ड्रोन सेक्टर को भी इसमें जोड़ने का काम किया था, जिसके बाद इस योजना के तहत टोटल 14 सेक्टर हो गए।
कैसे बनेगा भारत 'दुनिया की फैक्ट्री'?
भारत सरकार अपने यहां मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कदम उठा रही है, जिसमें से एक पीएलआई स्कीम भी है। चीन सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक समान बनाता है, जिसमें, चिप, हार्डवेयर के अलावा मोबाइल में इस्तेमाल होने वाले इक्विपमेंट आदि शामिल है। ये सारी चीजें भारत में भी बनाई जाती है, लेकिन चीन से तुलना की जाए तो यह बहुत कम है। हालांकि भारत सरकार की पीएलआई स्कीम पर एक नजर डालें तो सरकार इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और आईटी हार्डवेयर के प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए इसेंटिव दे रही है। इंवेस्ट इंडिया वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ो के मुताबिक सरकार इन दोनों क्षेत्र के लिए क्रमश: 40,951 करोड़ और 7,325 करोड़ की राशि दे रही है। वहीं ऑटो कंपोनेंट्स के लिए सरकार ने 25,938 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। कोई ऑटो कंपनी अपने गाड़ी का मैन्यूफैक्चरिंग अधिक मात्रा में करती है और उसे विदेशों में एक्सपोर्ट भी करती है तो उसके लिए सरकार के तरफ से उसे प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा, जिसका टोटल बजट 25,938 करोड़ रुपये है।
फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री को बूस्ट करने के लिए सरकार 15,000 करोड़ रुपये की राशि दे रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का हर पांचवा व्यक्ति भारत में बनाई गई दवा का इस्तेमाल करता है। लेकिन दवा बनने के लिए जरुरी केमिकल चीन से आयात होता है। सरकार की इस स्कीम से फार्मास्यूटिकल प्रोडक्शन और बढ़ेगी। सरकार का सबसे ज्यादा फोकस केमिकल, फूड प्रोसेसिंग, मेडिकल डिवाइस, मेटल & माइनिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, टेलिकॉम, टेक्सटाइल और व्हाइट गुड्स है।