Wednesday, October 02, 2024
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इस कंपनी के CEO ने चेताया- जो कंपनियां कर्मचारियों पर ‘बहुत ज्यादा’ दबाव डालेंगी, वे बाजार से हो जाएंगी बाहर

वेम्बू ने कहा, और फिर एक दूसरा कारक है। हम विभिन्न स्थानों, छोटे शहरों से युवाओं को बड़े शहरों में ला रहे हैं। और पहली समस्या, निश्चित रूप से, अकेलापन है। वे कार्यबल में अकेले आते हैं। और हम इस समस्या को स्वयं में देखते हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: October 02, 2024 18:38 IST
Work Pressure - India TV Paisa
Photo:FREEPIK वर्क प्रेशर

वर्कप्लेस पर दबाव को लेकर उद्योग जगत में जारी चर्चा के बीच प्रौद्योगिकी कंपनी जोहो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) और सह संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने चेताया है कि जो कंपनियां कर्मचारियों पर ‘बहुत ज्यादा’ दबाव डालती हैं, वे बाजार में टीके नहीं रख पाएंगी। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि और अच्छी कंपनी बनाने के लिए एक ‘अलग’ मानसिकता की आवश्यकता होती है। वेम्बू ने कहा कि बड़े शहरों में प्रवास के बाद थकान, अकेलापन, लंबी यात्राएं और तनावपूर्ण काम की स्थिति लोगों को बहुत दबाव वाली जैसी स्थिति डाल में रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को रेग्युलेट करने की जरूरत है। उन्होंने डिजिटल मोनोपॉली की स्थिति बनने से रोकने और उसपर लगाम लगाने के लिए ‘मानकों’ के महत्व पर जोर दिया। 

अत्यधिक दबाव और थकान सही नहीं 

वर्कप्लेस पर तनाव के मुद्दे पर वेम्बू ने कहा कि हालांकि उन्होंने 27-28 साल काम किया है और यदि संभव हुआ तो 28 साल और काम करने को इच्छुक हैं। लेकिन वह निश्चित रूप से अंधाधुंध तरीके से काम के पक्ष में नहीं हैं, जिससे खुद या फिर उनके कर्मचारी अत्यधिक दबाव तथा थकान महसूस करें। उनकी यह बात प्रमुख परामर्श कंपनी में एक युवा कर्मचारी की दुखद मौत के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इस घटना के बाद कार्यस्थलों पर तनाव के मुद्दे पर व्यापक स्तर पर चर्चा हो रही है। वेम्बू ने कहा कि अवसाद और अंधाधुंध तरीके से काम करना वास्तविक मुद्दे हैं। इसके निपटने का तरीका ‘संतुलन’ बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, कर्मचारियों पर बहुत अधिक दबाव डालने वाली कोई भी कंपनी बाजार में लंबे समय में अपनी गति बनाये नहीं रख सकती।

 बड़े ‘प्रेशर कुकर’ जैसी दबाव बन रही 

वेम्बू ने कहा, और फिर एक दूसरा कारक है। हम विभिन्न स्थानों, छोटे शहरों से युवाओं को बड़े शहरों में ला रहे हैं। और पहली समस्या, निश्चित रूप से, अकेलापन है। वे कार्यबल में अकेले आते हैं। और हम इस समस्या को स्वयं में देखते हैं। हमने इसका सामना किया है। दूसरी बात, हमारे शहरों में कार्यस्थल और कार्यस्थल से घर तक पहुंचने के लिए एक-दो घंटे की यात्रा आम बात है। बेंगलुरु इसका अच्छा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि अकेलापन, लंबी यात्राएं, तनावपूर्ण कार्य स्थितियां के साथ अत्यधिक काम का बोझ मामले को और भी बदतर बना देता है। वेम्बू ने कहा, इन सब चीजों के साथ आप लोगों को एक बहुत बड़े ‘प्रेशर कुकर’ जैसी दबाव वाली परिस्थिति में डाल रहे हैं। और यह बहुत दुखद है कि कुछ लोग टूट जाते हैं। इसका हल यह है कि कंपनियों विविधता लाएं। उन्हें छोटे कस्बों और शहरों में मौजूदगी बनाने की आवश्यकता है।

कंपनियों को कई फ्रांट पर काम करना होगा 

उन्होंने कहा, मेरा मानना ​​है कि हमें भौगोलिक दृष्टि से विविधता लानी होगी। प्रत्येक गतिविधि एक ही स्थान पर नहीं होनी चाहिए और हमें अलग-अलग तरीके से सोचना होगा कि हम दीर्घकालिक कंपनियों का निर्माण कैसे करें। वेम्बू की कंपनी जोहो इस दर्शन पर काम करती है कि वैश्विक स्तर के उत्पाद कहीं भी बनाये जा सकते हैं। उन्होंने भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) को ‘चमकती सफलता की कहानी’ बताया। वेम्बू ने कहा, भारत इस क्षेत्र में एक बहुत मजबूत देश के रूप में उभरा है। वास्तव में, हम इसमें एक वैश्विक अगुवा हैं। मुझे नहीं लगता है कि किसी अन्य देश में डिजिटल बुनियादी ढांचे में इतना निवेश हो रहा है और इतने सारे मानक सामने आ रहे हैं। 

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