केंद्र सरकार (Central Government) ने बृहस्पतिवार को गेहूं के आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिये इसके निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल के इस निर्णय से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति होगी। इससे आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा और समाज के सबसे कमजोर तबके के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा। रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं। दोनों देशों की वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध से गेहूं की आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हुई है। इससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है। इसके कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली है।
मई में गेहूं के निर्यात पर रोक
सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इससे गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया। भारत से गेहूं आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 प्रतिशत बढ़ा है। बयान के अनुसार, इससे पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी। ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं के आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिये इसके निर्यात पर प्रतिबंध/प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की जरूरत थी।
बयान में कहा गया है, ‘‘सीसीईए ने गेहूं या मेस्लिन आटे पर निर्यात प्रतिबंध/रोक से छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’’ इससे पहले जुलाई में डीजीएफटी की एक अधिसूचना में कहा गया था कि सरकार ने गेहूं का आटा या आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर एक शर्त लगाई है। एक अधिकारी ने मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पहले गेहूं के आटे के लिए निर्यात व्यवस्था ‘मुक्त’ थी, लेकिन अब यह प्रतिबंधित श्रेणी में आ गई है। बता दें कि 2021-22 में भारत ने 24.6 करोड़ डॉलर के गेहूं के आटे का निर्यात किया है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि के दौरान निर्यात लगभग 12.8 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है।