Central Bank को भारतीय रिजर्व बैंक से जल्द बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) फ्रेमवर्क के तहत आए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को वित्तीय स्थिति में सुधार के बाद पाबंदियों से जल्द मुक्ति मिल सकती है। सूत्रों ने बताया कि बैंक ने आरबीआई को प्रस्तुतिकरण दिया है जिसमें बताया गया है कि बीती पांच तिमाहियों में उसके वित्तीय मानदंडों में निरंतर सुधार आया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई बैंक के अनुरोध पर गौर कर रहा है और जल्द ही इस बारे में राय बना सकता है।
बैंक का लाभ बढ़ा और एनपीए घटा
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सेंट्रल बैंक का शुद्ध मुनाफा 14.2 फीसदी बढ़कर 234.78 करोड़ रुपये रहा है जो एक साल पहले जून तिमाही में 205.58 करोड़ रुपये था। समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) गिरकर सकल अग्रिम का 14.9 फीसदी रह गईं जो पिछले वर्ष समान तिमाही में 15.92 फीसदी थीं। शुद्ध एनपीए भी पिछले वर्ष जून तिमाही के 5.09 फीसदी से घटकर इस जून तिमाही में 3.93 फीसदी रह गया। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को शुद्ध एनपीए बहुत अधिक होने और परिसंपत्तियों पर कम रिर्टन मिलने की वजह से जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था। किसी भी बैंक को पीसीए के तहत चुनिंदा नियामक आवश्यकताओं का उल्लंघन होने पर लाया जाता है। इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क से सितंबर 2021 में हटाया गया था।
2017 में लागू किया गया था PCA
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2017 में सेंट्रल बैंक पर PCA फ्रेमवर्क लागू किया था। PCA फ्रेमवर्क से बाहर निकाले जाने के बाद अब बैंक खुलकर लोन बांट सकेगा और कारोबार कर सकेगा । अगर कोई बैंक रिजर्व बैंक के पीसीए फ्रेमवर्क के अंतर्गत रहता है तो उसपर लोन बांटने और कारोबार करने संबंधी कई तरह के अंकुश लगाए गए होते हैं ।PCA से बाहर होने पर ग्राहकों पर कोई असर असर नहीं होगा । बैंक में नई भर्तियां भी शुरू हो जाएंगी । लिहाजा रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। किसी बैंक के पीसीए में रखे जाने पर उसके ग्राहकों को फिक्र करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि आरबीआई ने बासेल मानकों के अनुरूप बैंकों की वित्तीय सेहत दुरुस्त रखने के लिए PCA फ्रेमवर्क बनाया है।