केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय टैक्स अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में फाइल रिटर्न में विसंगतियों और टैक्स के कम भुगतान के लिए रजिस्टर्ड कारोबारियों को करीब 33,000 जीएसटी नोटिस भेजे गए हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि राजस्व सचिव की अध्यक्षता में राज्य और केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक इस महीने के आखिर या जनवरी की शुरुआत में होने की संभावना है। इसमें टैक्स अधिकारियों को ऐसे नोटिस से निपटने के लिए गाइड किया जाएगा।
इस वजह से भी नोटिस का लगा ढेर
जीएसटी पर उद्योग मंडल एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन में सीबीआईसी के सदस्य (जीएसटी) शशांक प्रिया ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए भेजे गए नोटिस दोनों के लिए दाखिल किए गए कुल रिटर्न का छोटा अंश है। उन्होंने बताया कि टैक्सपेयर्स को दो साल के लिए सालाना रिटर्न दाखिल करने के लिए दी गई डेडलाइन को आगे बढ़ाने के चलते भी ऐसे नोटिसों का ढेर लग गया है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 7 फरवरी, 2020 तक बढ़ा दी गई थी, जबकि 2018-19 के लिए यह दिसंबर, 2020 तक थी।
इसलिए रिटर्न भी देर से दाखिल किया गया
टैक्सपेयर्स के अनुरोध पर रिटर्न दाखिल करने का समय बढ़ाया गया था, इसलिए रिटर्न भी देर से दाखिल किया गया और अधिकारी (रिटर्न की जांच करने के लिए) बहुत दबाव में आ गए। इसलिए यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे इस स्थिति का समाधान निकलेगा और हमारे पास एक ही समय में इतने प्रस्तावित नोटिस लंबित नहीं होंगे। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए ऐसा हुआ है और हम देखेंगे कि इससे कैसे निपटना है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने टैक्स के कम भुगतान के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन व्यवसायों को करीब 30,000 से 33,000 नोटिस भेजे हैं।