डेलावेयर के सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एडटेक कंपनी Byju's ने कर्ज चुकाने में चूक की है। हालांकि, बायजूस ने दावा किया है कि अमेरिकी कोर्ट के इस फैसला का भारत में चल रही कानूनी कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बायजूस के अमेरिकी लेंडर्स ने मंगलवार को कहा कि डेलावेयर के सुप्रीम कोर्ट ने ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लोन एग्रीमेंट के तहत चूक हुई है और बायजूस के लेंडर्स और उनके प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।
बायजूस ने जुटाए थे 1.2 अरब डॉलर
बायजूस ने अपनी पैरेंट कंपनी बायजू अल्फा के जरिए अमेरिकी लेंडर्स से 1.2 अरब डॉलर का ‘टर्म लोन बी’ (TLB) जुटाया था। TLB संस्थागत निवेशकों द्वारा जारी किया जाने वाला कर्ज है। लेंडर्स ने अपने प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट के जरिए ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ में लोन एग्रीमेंट के तहत भुगतान में कथित चूक का आरोप लगाया और 1.2 अरब डॉलर के टीएलबी के जल्द से जल्द भुगतान की मांग की थी।
थिंक एंड लर्न ने किया था दावे का विरोध
थिंक एंड लर्न (जिसके पास बायजू का स्वामित्व है) ने इस दावे का विरोध किया था, लेकिन ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ ने कर्ज देने वालों के पक्ष में फैसला सुनाया था। ‘टर्म लोन’ उधारदाताओं के तदर्थ ग्रुप की संचालन समिति के बयान के अनुसार, बायजू के संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन और उनके भाई रिजू रवींद्रन ने स्वेच्छा से स्वीकार किया है कि बायजूस ने अक्टूबर, 2022 तक लोन एग्रीमेंट का भुगतान करने में चूक की।
अमेरिकी लेंडर्स ने भारतीय अदालतों में किया 1.5 अरब डॉलर का दावा
समिति ने कहा, ‘‘हम इस बात से खुश हैं कि डेलावेयर के सुप्रीम कोर्ट ने निर्णायक रूप से उस बात की पुष्टि की है जिसे हम पहले से ही जानते थे कि बायजूस ने जान-बूझकर और स्वेच्छा से लोन एग्रीमेंट का उल्लंघन किया और उसे पूरा नहीं किया।’’ अमेरिका स्थित लेंडर्स ने ग्लास ट्रस्ट के जरिए कंपनी के खिलाफ जारी दिवालिया कार्यवाही के दौरान भारतीय अदालतों में 1.35 अरब अमेरिकी डॉलर का दावा दायर किया था। ताजा बयान में, लेंडर्स ने अपने दावे की राशि को बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर कर दिया था।