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बिल्डर की मनमानी नहीं चलेगी! रेरा ने अप्रूव्ड मैप के आधार पर ही प्रोजेक्ट में ये करने का दिया निर्देश

प्रोजेक्ट का अप्रूव्ड मैप और रेरा में रजिस्टर मैप और उसके टावर्स के नाम अलग होने से होम बायर्स को भी सही स्थिति समझने में भ्रम होता है। प्रोमोटर द्वारा रेरा के इन नवीन आदेशों का अनुपालन करने पर वर्तमान में आ रही समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: March 23, 2024 16:56 IST
Real estate project - India TV Paisa
Photo:FILE प्रोजेक्ट

बिल्डर की मनमानी पर लगाम लगाते हुए उत्तर प्रदेश रेरा ने बड़ा कदम उठाया है। रेरा ने बिल्डरों को निर्देश दिया है कि वह उसी नाम से रेरा में प्रोजेक्ट को रजिस्टर कराएं, जिस नाम से अथॉरिटी द्वारा परियोजना का मैप अप्रूव्ड किया गया है। इतना ही नहीं, टावर्स या ब्लॉक के वही नाम लिखे जो अप्रूव्ड मैप में स्वीकृत किया गया हो। प्रोजेक्ट बेचने के लिए प्रोमोटर उसी नाम से प्रचार-प्रसार करें जिस नाम से परियोजना रेरा में पंजीकृत है। 

इसलिए उठाया गया यह कदम

 

यह देखा गया है कि डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा कभी-कभी ऐसे व्यक्ति या इकाई के नाम से मैप की स्वीकृति जारी कर दी जाती है जो वास्तविक भू-स्वामी नहीं है जबकि रेरा अधिनियम के अनुसार परियोजना की भूमि पर प्रोमोटर का मालिकाना हक जरूरी है। भू-स्वामी के नाम से ही मैप पास किया जा सकता है। उ.प्र. रेरा द्वारा स्पष्ट आदेश जारी कर दिए गए हैं कि विकास प्राधिकरणों द्वारा भू-स्वामी के नाम से मैप मानचित्र स्वीकृत किया जाए और परियोजना की ओसी या सीसी में अप्रूव्ड मैप के आधार पर ही विवरण लिखे जाएं। उ.प्र. रेरा द्वारा अपर मुख्य सचिव, आवास तथा अपर मुख्य सचिव, औद्योगिक विकास विभाग को संदर्भ भेज कर उनसे अनुरोध किया गया है कि अपने विभागान्तर्गत सक्षम प्राधिकरणों को इस आशय के निर्देश जारी कर दें।

ब्लॉक या टावर्स के नाम अलग रखने का मामला

रेरा के इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रोमोटर द्वारा उ.प्र. रेरा में उसी नाम के साथ परियोजना पंजीकृत करायी जाएगी जिस नाम से विकास प्राधिकरण द्वारा परियोजना का मानचित्र स्वीकृत किया गया है और पंजीकृत परियोजना, टावर तथा ब्लॉक का नाम भी वही रखा जाएगा जो स्वीकृत मानचित्र में दिया गया है। रेरा द्वारा यह देखा गया कि स्वीकृत मानचित्र तथा रेरा में पंजीकरण विवरण में परियोजना तथा ब्लॉक या टावर्स के नामों में भिन्नता होने के कारण परियोजना की ओ.सी. या सी.सी. से यह समझ पाना मुश्किल होता है कि प्रश्नगत ओसी या सीसी रेरा में पंजीकृत परियोजना के सम्बन्ध में है अथवा नहीं। परिणाम स्वरूप परियोजना की वास्तविक स्थिति को समझने या परियोजना के एकाउण्ट क्लोज़र के प्रार्थना-पत्र पर निर्णय लेने में कठिनाईयां होती हैं। यह भी देखा गया है कि प्रोमोटर्स द्वारा परियोजना के रेरा नाम से भिन्न नामों से भी मार्केटिंग की जाती है। उन्हें अब आदेश दे दिए गए हैं कि जिस नाम से परियोजना पंजीकृत है तथा रेरा में टावर या ब्लॉक के जो भी नाम दिए गए हैं, प्रोमोटर्स उसी नाम से परियोजना की मार्केटिंग करें।

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