सरकार बजट की तैयारी में पूरी तरह से लग गई है। जल्द ही हलवा सेरेमनी के साथ इसकी छपाई भी शुरु हो जाएगी। ऐसे में एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार के बजट में सरकार का ईवी इंडस्ट्री पर खास फोकस देखने को मिल सकता है। जैसा कि हम देखते आ रहे हैं, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ईवी को हमेशा प्रमोट करते हुए नजर आते हैं।
जीएसटी दर कम करने की ईवी इंडस्ट्री कर रही मांग
भारत सरकार (जीओआई) ने ईवी इंडस्ट्री का समर्थन करने के लिए पिछले दशक में कई नई नीतियां और नियम पेश किए हैं, जैसे कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) प्रोग्राम, जिसे अब 2024 तक बढ़ा दिया गया है। लोहिया ऑटो के सीईओ आयुष लोहिया ने कहा कि फेम सब्सिडी सहित बैटरी स्वैपिंग को प्रोत्साहित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, नीतियों और रेगुलेशंस के लिए प्रोत्साहन सरकार के तरफ से इस बजट में दिया जाना चाहिए। बेहतर लागत का प्रबंधन करने और ग्राहकों को लाभ पहुंचाने के लिए, इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में उपयोग की जाने वाली बैटरी और अन्य कम्पोनेंट्स पर कर (जीएसटी) व्यवस्था 18 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत होनी चाहिए।
प्रायोरिटी लेंडिंग से ईवी को मिलेगी बूम
उन्होंने आगे कहा कि इसके साथ ही घरेलू ईवी उत्पादकों के लिए अतिरिक्त टैक्स ब्रेक जो अपने उत्पादों को भारत में बनाएंगे और “मेक इन इंडिया“ अभियान को तेजी से आगे बढ़ाएंगे। साथ ही इसको अपनाने की दर को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के रिटेल फाइनेंसिंग को प्राथमिकता वाले ऋण (प्रायोरिटी लेंडिंग) के तहत आना चाहिए। इलेक्ट्रिक 3-व्हीलर को भी इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर की तरह 15,000 रुपये प्रति किलोवाट इंसेटिव मिलना चाहिए, क्योंकि ईवी वाहनों के विस्तार में लागत सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। ये नए इंसेटिव भारत में इलेक्ट्रिक 3-व्हीलर के लिए अपनी पैठ बढ़ाकर सड़कों पर यातायात को सहज और सुचारू बनाने में मदद कर सकती है।
सरकार को इन बातों पर देना होगा ध्यान
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए एक विशेष पीएलआई प्रोग्राम और ईवी से संबंधित सेवाओं के लिए सर्विसेज से जुड़ा इंसेटिव प्रोग्राम भारत में ईवी ईकोसिस्टम की स्थापना में तेजी लाने में मदद कर सकता है। ईवी से संबंधित रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए टैक्स ब्रेक या इंसेटिव के रूप में सरकारी सहायता की भी आवश्यकता है।