रियल एस्टेट क्षेत्र की संस्था क्रेडाई ने सुझाव दिया है कि सरकार को आगामी बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट (किफायती आवास परियोजनाओं) पर आयकर की दर सिर्फ 15 प्रतिशत तय करनी चाहिए। इससे कम लागत वाले घरों की आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिनकी मांग सबसे अधिक है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, 13,000 से ज्यादा डेवलपर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर्स संघों के परिसंघ (क्रेडाई) ने इस सेक्टर के सामने आने वाली खास चुनौतियों का सॉल्यूशन करने के लिए आगामी केंद्रीय बजट के लिए कई सुझाव दिए हैं।
होम लोन पर चुकाए जाने वाले मूलधन और ब्याज की कटौती सीमा बढ़े
खबर के मुताबिक, इन सुझावों में किफायती आवास की परिभाषा में संशोधन, किफायती घर बनाने के लिए रियल एस्टेट कंपनियों को टैक्स में छूट और व्यक्तियों द्वारा होम लोन पर चुकाए जाने वाले मूलधन और ब्याज की कटौती सीमा को बढ़ाना शामिल है। क्रेडाई ने पिछले कुछ वर्षों में कुल ताजा सप्लाई में किफायती आवास खंड की घटती हिस्सेदारी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। आपूर्ति में कमी के साथ, कुल बिक्री में किफायती घरों की हिस्सेदारी भी कम हुई है। क्रेडाई ने प्राथमिकता के आधार पर इस गिरावट के ट्रेंड को रोकने की जरूरत पर जोर दिया है।
मौजूदा सीमा को संशोधित करे सरकार
क्रेडाई ने कहा कि अफोर्डेबल हाउसिंग की सप्लाई को बढ़ावा देने के लिए, क्रेडाई ने मैनुफैक्चरिंग कंपनियों के लिए मौजूदा समय में उपलब्ध 15 प्रतिशत की निचली आयकर दर को किफायती आवास परियोजनाओं तक बढ़ाने की सिफारिश की है। 2017 में किफायती आवास की परिभाषा पेश किए जाने के बाद से रियल एस्टेट क्षेत्र में कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ, क्रेडाई ने सरकार से 45 लाख रुपये की मौजूदा सीमा को संशोधित करने का आग्रह किया है।
रियल एस्टेट का योगदान है बड़ा
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि जीडीपी, रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे में अपने अपार योगदान के साथ, भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र हमेशा राष्ट्र निर्माण में सबसे आगे रहा है। वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 53 प्रतिशत (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से) को प्रभावित करने और 8 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाला यह क्षेत्र 40 करोड़ भारतीयों की घरों की जरूरत को पूरा करने की कुंजी है, जिनके पास पर्याप्त घर नहीं हैं। ईरानी ने कहा कि अगले 7 वर्षों में 7 करोड़ घर उपलब्ध कराने और 2 करोड़ नए रोजगार सृजित करने के विजन के साथ हमें विश्वास है कि ये उपाय विकास को गति देंगे, घर खरीदने वालों को सशक्त बनाएंगे और भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करेंगे।