आज पेश किए जा रहे आम बजट से हर आम आदमी और सैलरीड क्लास (वेतनभोगी) और मध्यम वर्ग सरकार से राहत की आस लगाए बैठा है। इनकम टैक्स की नजरिये से सरकार अगर छूट की घोषणा करती है तो इससे ऐसे लोगों को राहत मिलेगी। मोदी 3.0 सरकार के बजट 2024 से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं?
सरकार इनकम टैक्स में कर सकती है बदलाव
जानकार कहते हैं कि इनकम टैक्स स्लैब दरों और स्लैब को युक्तिसंगत बनाकर नई आयकर व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है। उनका सुझाव है कि मौजूदा 15 लाख रुपये की सीमा के बजाय 20 या 25 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स स्लैब लागू होना चाहिए।
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धारा 80सी और स्टैंडर्ड डिडक्शन
नई आयकर व्यवस्था के तहत धारा 80सी छूट को शामिल किए जाने की उम्मीद है। आपको बता दें, साल 2014 से 1.5 लाख रुपये की लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, इसलिए बचत को प्रोत्साहित करने के लिए इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की उम्मीद है। इसके अलावा, मांग है कि पिछले साल नई कर व्यवस्था में शुरू की गई 50,000 रुपये की मानक कटौती सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जाना चाहिए।
मूल छूट सीमा और बैंक जमा पर ब्याज
ज्यादा से ज्यादा करदाताओं को नई आयकर व्यवस्था चुनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, व्यक्तिगत कर विशेषज्ञ मूल छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ विशेषज्ञ कर छूट की सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये करने का प्रस्ताव देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक जमा पर ब्याज के लिए 10,000 रुपये की मौजूदा छूट सीमा अपर्याप्त है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य बीमा के लिए धारा 80D और होम लोन कटौती
सैलरीड क्लास के करदाता धारा 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम कटौती को मौजूदा लिमिट 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये या 1 लाख रुपये करने का अनुरोध कर रहे हैं। यह बदलाव टैक्सपेयर्स को राहत देगा और उन्हें अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करेगा। लोगों की मांग यह भी है कि खुद के कब्जे वाली गृह संपत्ति के लिए आवास ऋण पर भुगतान किए गए ब्याज पर कटौती की वर्तमान सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर न्यूनतम 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। साथ ही इसे नई कर व्यवस्था के अंतर्गत शामिल किया जाए।
पूंजीगत लाभ कर संरचना को तर्कसंगत बनाना
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार मौजूदा पूंजीगत लाभ कर संरचना की पेचीदगियों को पहचानती है, जो एक ही परिसंपत्ति वर्ग के भीतर विभिन्न उपकरणों के लिए कर दरों और होल्डिंग अवधि में विसंगतियों से ग्रस्त है। सात ही इंडेक्सेशन लाभ विभिन्न परिदृश्यों में समान रूप से लागू नहीं होता है। उनका अनुमान है कि सरकार एक सुव्यवस्थित पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था का प्रस्ताव कर सकती है, जिसमें संभवतः कर दरों और गणना विधियों में समायोजन शामिल हो सकता है।