भारत जैसे विशाल देश के आम बजट को कई लोगों के लिए समझना बहुत आसान नहीं होता है। आप यही समझिए कि जिस तरह आपके घर का एक बजट होता है, देश भी इसी तरह एक बजट के मुताबिक, चलता है। इसी बजट में कई बार नफा तो कई बार नुकसान के साथ जिंदगी चलती है। हम आप इसे मैनेज करने में लगे रहते हैं। सरकार भी ठीक इसी तरह, देश के बजट को बेहतर मैनेज करने की हर कोशिश करती है। आप चाहें तो महज 1 रुपये के उदाहरण से देश के बजट का मोटा-मोटी अंदाजा लगा सकते हैं। इसमें आप यह समझ सकते हैं कि आखिर 1 रुपया आता कहां से है और वही 1 रुपये जाता कहां है।
1 रुपया आता कहां से है
जैसे घर चलाने के लिए आपको फंड की जरूरत होती है तो आप इसके लिए अपनी क्षमता मुताबिक, इनकम करते हैं। ठीक इसी तरह सरकार भी इनकम या रेवेन्यू जेनरेट करती है। सरकार की कमाई के कई सोर्स हैं जिससे फंड इकट्ठा होता है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2023-24 पर एक नजर डालें तो इकोनॉमिक सर्वेक्षण 2024 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार को इनकम टैक्स से 19 पैसे, कॉर्पोरेशन टैक्स से 17 पैसे, कस्टम्स ड्यूटी से 4 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 5 पैसे, जीएसटी से 18 पैसे, नॉन-टैक्स रिसिप्ट से 9 पैसे, नॉन डेट कैपिटल रिसिप्ट से 1 पैसे और उधार और दूसरी देयता से 27 पैसे का इनकम होता है।
1 रुपया जाता कहां है
आप अपने इनकम के हिसाब से अपने घर का बजट चलाते हैं। यानी उसी हिसाब से खर्च करते हैं। सरकार भी ऐसे ही अपनी आय के हिसाब से देश का बजट चलाती है। इकोनॉमिक सर्वेक्षण 2024 में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जारी आंकड़ों के हिसाब से सरकार ने इस 1 रुपये में से अलग-अलग मद में खर्च किया है। जैसे केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं (इसमें रक्षा और आर्थिक सहायता पर पूंजी परिव्यय शामिल नहीं है) में 16 पैसे, ब्याज अदायगी में 19 पैसे, रक्षा क्षेत्र में 8 पैसे, आर्थिक सहायता देने यानी सब्सिडी देने में 6 पैसे, वित्त आयोग और दूसरे ट्रांसफर में 9 पैसे, टैक्स और शुल्क में राज्यों को हिस्सा देने में 21 पैसे, केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में 8 पैसे, पेंशन देने में 4 पैसे और अन्य मद में सरकार ने 9 पैसे खर्च किया है।
सबसे ज्यादा इनकम का सोर्स और सबसे ज्यादा खर्च का मद
आंकड़े बताते हैं कि सरकार को सबसे ज्यादा रेवेन्यू उधार और दूसरी देयता से आता है, जबकि सरकार का सबसे ज्यादा खर्च टैक्स और शुल्क में राज्यों को हिस्सा देने में चला जाता है। इस तरह, सरकार देश का बजट मैनेज करती है। देश की जीडीपी की बात करें तो बजट वित्त वर्ष 2024-25 (नियमित) के लिए जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद ₹3,26,36,912 करोड़ रुपये आकलित की गई है। यह वित्त वर्ष 2023-24 के ₹2,95,35,667 करोड़ रुपये के अनंतिम अनुमान से 10.50 प्रतिशत ज्यादा है।