आगामी बजट में सरकार नौकरियों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मैनुफैक्चरिंग पर विशेष फोकस कर सकती है। इनके लिए कुछ खास घोषणाएं की जा सकती हैं। यह संकेत नई सरकार के पहले पूर्ण केंद्रीय बजट से पहले बीते गुरुवार को अर्थशास्त्रियों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई मीटिंग से मिलता है। इस मीटिंग में पीएम मोदी ने इन मुद्दों सहित कई अन्य विषयों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने केंद्र-राज्य संबंधों की जटिलताओं पर भी बात की। इसमें केंद्र द्वारा कई कार्यक्रमों या योजनाओं को वित्तपोषित करने और राज्यों द्वारा इन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की पूरी जिम्मेदारी नहीं लेने के बारे में भी चर्चा की गई।
20 अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने की पीएम से चर्चा
खबर के मुताबिक, पीएम मोदी ने लगभग 20 अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से पांच-पांच मिनट तक बात की। बैठक का मुख्य एजेंडा साल 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य था, साथ ही रोजगार सृजन में तेजी लाने की जरूरत पर चर्चा हुई। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, विचार-विमर्श में मुख्य रूप से उन उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया जो विनिर्माण, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में उस लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए उठाए जा सकते हैं।
कृषि विकास के बारे में चिंता
ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जिस पर पहले से ही स्थिर मजदूरी प्रवृत्तियों और धीमी खपत मांग के लिए बारीकी से नज़र रखी जा रही है, पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें अर्थशास्त्रियों ने कृषि विकास के बारे में चिंता जताई, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की कमी और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा योजना के तहत दिए गए छोटे-छोटे ऋणों के बावजूद लोन ग्रोथ में सुस्ती को उजागर किया।
पीएम ने किया पोस्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- आज सुबह, प्रख्यात अर्थशास्त्रियों के साथ बातचीत की और विकास को आगे बढ़ाने से संबंधित मुद्दों पर उनके व्यावहारिक विचार सुने। समझा जाता है कि प्रधान मंत्री मोदी ने रोज़गार बहस पर विस्तार से बात की, और कहा कि संख्याएं पूरी तस्वीर नहीं दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि श्रम की गरिमा या 'श्रम की प्रतिष्ठा' के साथ एक मुद्दा था।
खबर के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि विनिर्माण क्षेत्र पर भी विस्तार से चर्चा की गई। विचार यह था कि भारत को और भी बहुत सी चीजों का निर्माण करना चाहिए और विनिर्माण कैसे न केवल आर्थिक विकास की उच्च दर हासिल करने में बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में शामिल होने के रणनीतिक लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मीटिंग में कपड़ा क्षेत्र को लेकर चिंताएं भी सामने आईं, जो भारत कभी विश्व में अग्रणी था। अर्थशास्त्रियों और प्रधानमंत्री के बीच चर्चा में टैक्सेशन की दरें भी शामिल थीं।