Wednesday, November 13, 2024
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Budget 2024: कैसे होती है बजट की तैयारी? किन प्रोसेस से गुजरकर 1 फरवरी को लोकसभा में होता है पेश, समझें सबकुछ

भारत में वित्तीय वर्ष की गणना 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होती है। 1 अप्रैल से पहले बजट की संसदीय मंजूरी की जरूरत होती है। बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अलॉट किया जाता है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: January 16, 2024 11:58 IST
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करेंगी।- India TV Paisa
Photo:INDIA TV केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करेंगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करेंगी। हालांकि, लोकसभा चुनाव वाला साल होने के चलते यह अंतरिम बजट होगा।  साल 2025 का पूर्ण बजट आम चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा। आम बजट में किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण होता है। बजट आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अलॉट किया जाता है, जो अगले साल  1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है। केंद्रीय बजट कैसे तैयार किया जाता है, आइए इसको यहां समझ लेते हैं।

भारत में वित्तीय वर्ष की गणना 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होती है। 1 अप्रैल से पहले बजट की संसदीय मंजूरी की जरूरत होती है। चूंकि बजट बनाना एक लंबी प्रक्रिया है, इसलिए आखिरी ड्राफ्ट तैयार करने में महीनों की योजना, सलाह और संकलन लगता है। लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, यह प्रक्रिया वित्तीय विवरण संसद में प्रस्तुत किए जाने से लगभग छह महीने पहले शुरू हो जाती है, जिस पर पिछले साल के अगस्त-सितंबर में विचार-विमर्श शुरू होता है।

मंत्रालयों, केंद्रशासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों को एफएम सर्कुलर

बजट बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त संस्थाओं को सर्कुलर जारी कर आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमान तैयार करने के लिए कहता है। इन सर्कुलर में मंत्रालयों को अपनी मांगें प्रस्तुत करने में मदद करने के लिए जरूरी गाइडलाइंस के साथ-साथ ढांचागत प्रपत्र भी शामिल हैं। सभी मंत्रालयों, केंद्रशासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों को अनुमान पेश करने के अलावा पिछले वर्ष की अपनी कमाई और खर्चों का खुलासा करना होता है।

प्रस्तावों की समीक्षा

सभी मंत्रालयों, केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा भेजे गए प्रस्ताव राजस्व सचिव के पास पहुंचते हैं। बड़े सरकारी अधिकारियों की तरफ से आए प्रपोजल प्रस्तावों की गहन समीक्षा की जाती है। व्यय विभाग और नीति आयोग इन प्रस्तावों की जांच के लिए व्यापक परामर्श करते हैं। तारीख सत्यापित और अनुमोदित होने के बाद इसे वित्त मंत्रालय को भेजा जाता है।

राजस्व एवं व्यय का अनुमान

व्यय विभाग द्वारा भेजे गए आंकड़ों की जांच करने के बाद, वित्त मंत्रालय कुल बजट घाटे का पता लगाने के लिए राजस्व और व्यय के अनुमानों की तुलना करता है। कुल बजट घाटे की गणना की जाती है। सरकार अब बजट घाटे को पूरा करने के लिए जरूरी उधारी निर्धारित करने के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार से सलाह करती है।

रेवेन्यू एलोकेशन

हर जगह से आए सिफारिशों पर विचार करने के बाद, वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को उनके भविष्य के खर्च के लिए राजस्व एलोकेट करता है। धन के अलॉटमेंट पर किसी भी असहमति की स्थिति में, वित्त मंत्रालय आगे बढ़ने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल या प्रधान मंत्री के साथ विचार-विमर्श करता है।

बजट पूर्व सलाह-मशवरा

बजट अलॉट होने के बाद, वित्त मंत्रालय विभिन्न हितधारकों के साथ उनकी मांगों और सिफारिशों के बारे में स्पष्ट जानकारी हासिल करने के लिए बजट-पूर्व परामर्श करता है। इन हितधारकों में राज्य के प्रतिनिधि, बैंकर, किसान, अर्थशास्त्री और ट्रेड यूनियन शामिल हैं। बजट से पहले परामर्श के दौरान उठाए गए सभी अनुरोधों पर विचार करने के बाद, वित्त मंत्री प्रधानमंत्री के साथ व्यापक चर्चा के बाद आखिरी फैसला लेते हैं।

हलवा सेरेमनी

केंद्रीय बजट के कार्यक्रमों की आधिकारिक शुरुआत एक खास तरह के हलवा सेरेमनी के जरिये की जाती है। हलवा एक बड़ी कढ़ाई में  तैयार की जाती है और वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों को परोसी जाती है।  वित्त मंत्री कढ़ाई को हिलाकर और अधिकारियों को मिठाई परोसकर आगे बढ़ते हैं। बता दें, नॉर्थ ब्लॉक के अंदर स्थित बजट प्रेस में केंद्रीय बजट की प्रस्तुति तक की अवधि तक सभी अधिकारी रहते हैं। 

आखिर में केंद्रीय बजट को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी को लोकसभा में पेश किया जाता है। वित्त मंत्री प्रस्तुति के दौरान डॉक्यूमेंट्स के मुख्य बिंदुओं का सारांश देते हैं और प्रस्तावों के पीछे की सोच के बारे में बताते हैं। फिर प्रस्तुति के बाद, केंद्रीय बजट को चर्चा के लिए संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाता है। संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने के बाद, बजट को आखिरी मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है।

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