ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज की कई कंपनियों का कहना है कि सरकार को बजट में ग्रीन मोबिलिटी पर खासतौर से फोकस करने की जरूरत है। कंपनियों का कहना है कि सरकार को अनुकूल नीतियों को जारी रखना चाहिए। साथ ही ग्रीन मोबिलिटी (इलेक्ट्रिक गाड़ियां) से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस करने की जरूरत है। कंपनियों को उम्मीद है कि सरकार फेम स्कीम को आगे बढ़ाएगी। केंद्र सरकार 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
जीएसटी का सबसे बड़ा स्लैब है 28 प्रतिशत
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, कंपनियों को उम्मीद है कि बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय जारी रहेगा, जिससे ऑटोमोटिव क्षेत्र को मदद मिलेगी। ग्रीन मोबिलिटी के लिए नीतिगत प्रोत्साहन पर सरकार का मुख्य फोकस बना रहना चाहिए, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। साथ ही यह भी कहना है कि हम विभिन्न नीतियों में स्थिरता और आगामी बजट में कोई आश्चर्य की उम्मीद नहीं करते हैं। आपको बता दें, लग्जरी गाड़ियों पर फिलहाल 28 प्रतिशत का जीएसटी लगता है जो सबसे ज्यादा स्लैब कैटेगरी में है। इसमें सेडान पर 20 प्रतिशत और एसयूवी पर 22 प्रतिशत का अतिरिक्त उपकर होता है, जिससे कुल कर भार 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भरता घटे
ऑटोमोबाइल निर्माता को भरोसा है कि सरकार अर्थव्यवस्था और परिवहन क्षेत्र को एक ऐसे हरित भविष्य में शिफ्ट करने की दिशा में अपना प्रयास जारी रखेगी जो जीवाश्म ईंधन पर कम निर्भर हो। कंपनियों का कहना है कि नीतिगत स्थिरता और निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने पर निरंतर जोर न केवल देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा, बल्कि विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की वृद्धि को भी बढ़ावा देगा। लगातार ऑटोमोटिव नीतियां क्षेत्रीय विस्तार को बढ़ावा देंगी।
फेम इंडिया योजना की है डेडलाइन
कंपनियों का कहना है कि हम केंद्रीय बजट 2024 में लगातार FAME समर्थन के माध्यम से इस क्षेत्र को प्राथमिकता देने, सबसे योग्य लोगों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और सभी के लिए पर्यावरणीय कल्याण का आह्वान करते हैं। मौजूदा समय में फेम इंडिया योजना का फेज- II 1 अप्रैल, 2019 से पांच साल की अवधि के लिए 10,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय समर्थन के साथ लागू किया जा रहा है। यह 31 मार्च, 2024 को खत्म होने वाला है।