वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से देश के रियल एस्टेट सेक्टर को आगामी केन्द्रीय बजट 2024-25 से कई उम्मीदें हैं। उद्योग जगत की कई मांगें भी हैं। बजट में उम्मीद की जा रही है कि आवास की मांग बढ़ाने के लिए होम लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट बढ़ाई जाएगी, साथ ही अफॉर्डेबल हाउसिंग के ग्रोथ के लिए टैक्स में छूट और लाभ बढ़ाया जाएगा। रियल एस्टेट सेक्टर को यह भी उम्मीद है कि आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि ऐसा होने से आवास, खासतौर पर बजट घरों की मांग बढ़ेगी। महामारी के बाद इनकी बिक्री में गिरावट देखी गई है।
अफॉर्डेबल आवास पर होगा सरकार का फोकस
अफॉर्डेबल हाउसिंग को लेकर बेसिक होम लोन के सीईओ और सह-संस्थापक,अतुल मोंगा ने कहा कि उम्मीद है कि अफॉर्डेबल आवास के विकास और खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स में छूट और फायदों को बढ़ाया जाएगा। फिलहाल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 45 लाख रुपये तक के घरों के लिए ब्याज़ की सब्सिडी उपलब्ध है, लेकिन सम्पत्ति की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इस सीमा को बढ़ाकर 65 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है। मोंगा ने कहा कि उम्मीद है कि सिंगल विंडो क्लियरेन्स, जीएसटी रेशनलाइजेशन और लोन की उपलब्धता में सुधार से लागत में कटौती होगी और विनियामक बाधाओं को हल करने में मदद मिलेगी। एक और उम्मीद यह भी की जा सकती है कि सरकार खासतौर पर अफॉर्डेबल हाउसिंग परियोजनाओं के लिए कम लागत पर ज़मीनें जारी करेगी। इससे रियल एस्टेट की कीमतों में कमी आएगी और आवास अधिक सुलभ हो जाएगा।
डिजिटल इन्फ्रा में सुधार पर जोर
डिजिटल ऋण के बढ़ते रुझानों को समर्थन देने के लिए बजट में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के सुधार के लिए धनराशि अलॉट की जा सकती है। इसमें ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में बेहतरीन इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल बैंकिंग सुविधाएं शामिल हैं जो डिजिटल लोन प्लेटफॉर्म्स को सुलभ बनाएंगे। डिजिटल लोन के लिए स्पष्ट विनियामक ढांचा बनाना महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि केंद्रीय बजट, उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित रखने के लिए डिजिटल लोन में निष्पक्ष प्रथाओं को सुनिश्चित करेगा और डिजिटल लेनदेन में भरोसे और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा।
होम लोन पर टैक्स के फायदे बढ़ाए सरकार
रियल एस्टेट सेक्टर की मांग है कि बजट में धारा 80 सी के तहत प्रिंसिपल के रीपेमेंट में कटौती को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया जाए। इससे घर के खरीददारों को राहत मिलेगी। होम लोन और अधिक किफ़ायती हो जाएंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और अधिक से अधिक लोग घर खरीदने के लिए प्रेरित होंगे। कटौती में बढ़ोतरी की संभावना से घर के खरीदारों पर आर्थिक बोझ कम होगा। रेसिडेंशियल हाउसिंग बाज़ार में विकास में भी योगदान मिलेगा।