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Budget 2024: बजट में NPS, आयुष्मान भारत पर हो सकती हैं घोषणाएं, आयकर छूट बढ़ेगी या नहीं? जानें

लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में कर मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का प्रत्यक्ष कर नीति पर असर पड़ेगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 21, 2024 15:58 IST
Finance Minister Nirmala Sitharaman- India TV Paisa
Photo:PTI वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस सप्ताह पेश होने वाले आम बजट में नई पेंशन प्रणाली और आयुष्मान भारत जैसी सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लेकर कुछ घोषणाएं हो सकती है। हालांकि, आयकर के मामले में राहत की उम्मीद कम है। उनका यह भी कहना है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन बढ़ने और सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाये जाने की संभावना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024-25 के लिए लगातार सातवीं बार और नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार यानी 23 जुलाई को लोकसभा में पेश करेंगीं। 

पेंशन योजनाओं पर बजट में होगा जोर 

बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर जाने-माने अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘बजट में एनपीएस और आयुष्मान भारत पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद है। पेंशन योजनाओं को लेकर राज्यों के स्तर पर काफी चर्चा हुई है। केंद्र सरकार ने एनपीएस (नई पेंशन प्रणाली) को लेकर समिति भी गठित की थी। प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत के बारे में कुछ बातें कही हैं। ऐसे में दोनों योजनाओं में कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा सकती है।’’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि 70 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाएगा। 

उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी का ध्यान निवेश के जरिये लोगों के मान-सम्मान और बेहतर जीवन तथा रोजगार सुनिश्चित करने पर है। एनपीएस और आयुष्मान भारत के बारे में अर्थशास्त्री और शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। प्रमुख कार्यक्रम पहले से ही पूर्ण लक्ष्य तक पहुंचने के करीब हैं। इस दिशा में नए उपायों की उम्मीद की जा सकती है।’’ इस संबंध में एनआईपीएफपी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘महामारी के बाद की राजकोषीय रणनीति में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र में बीमा योजनाएं इस प्रणाली को और अधिक महंगा बनाती हैं। बीमा योजनाओं के बजाय हमें मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है।’’ 

हेल्थ इंश्योरेंस के बोझ में कमी की होगी कोशिश

लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में कर मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का प्रत्यक्ष कर नीति पर असर पड़ेगा। चूंकि निजी खपत चिंता का विषय है, ऐसे में जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए, खासकर तब जब कर संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है।’’ चतुर्वेदी ने भी कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बजट में इस संबंध में कुछ होगा।’’ म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस की संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य भी जिम्मेदारी निभा रही चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘कर दरों में कमी से लोगों के हाथों में खर्च करने लायक आय में वृद्धि होगी और यह उपभोग को बढ़ावा दे सकता है। लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि देश की आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा (लगभग चार प्रतिशत) ही आयकर अदा करता है।’’

सभी सात प्राथमिकताओं पर ध्यान देने की जरूरत 

बजट में प्राथमिकता के बारे में आरबीआई निदेशक मंडल के सदस्य की भी जिम्मेदारी निभा रहे चतुर्वेदी ने कहा, बजट में पहले से चिन्हित सभी सात प्राथमिकताओं, समावेशी विकास, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता का उपयोग, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र के विस्तार पर ध्यान जारी रखा जाना चाहिए। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इस संदर्भ में, बजट के लिए तीन प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं। पहला, पूंजीगत व्यय को संदर्भ बिंदु के रूप में रखते हुए बुनियादी ढांचे के विकास पर लगातार ध्यान देना। दूसरा, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन को बढ़ावा देना और अंत में, सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इन तीन उपायों से न केवल अन्य क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार भी बढ़ेगा।’’ 

रोजगार के साथ विकास पर होगा फोकस

भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘प्राथमिकता वृद्धि के लिए मध्यम अवधि की नीतियों के साथ निरंतरता बनाए रखने और विकसित भारत की दिशा में कुछ दीर्घकालिक सुधार करने पर होनी चाहिए। इसके अलावा राज्यों के पूंजीगत व्यय को समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ सार्वजनिक पूंजीगत व्यय जारी रखकर अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि दर आठ प्रतिशत लाने पर होनी चाहिए।’’ चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘यह आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाला बजट होगा। हालांकि, वित्त मंत्री के लिए राजकोषीय मजबूती के रास्ते से हटने की गुंजाइश बहुत कम है।’’ एक अन्य सवाल के जवाब में भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘बजट में रोजगार के साथ विकास पर ध्यान केंद्रित किये जाने की संभावना है। चूंकि पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना ने कोविड महामारी के दौरान उद्योग की मदद की है। अब यह आकलन करने की आवश्यकता है कि क्या इसने रोजगार सृजन में भी मदद की है। यानी पीएलआई योजना का आकलन करने की आवश्यकता है।’’ 

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