इस साल भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी। बजट में किन सेक्टर्स पर विशेष ध्यान होगा? बजट में कितने शब्द होंगे? बजट कितना लंबा होगा? उसमें कोई बड़ा बदलाव तो नहीं होगा। ऐसे कई और सवाल हैं जो आपके दिमाग में इस समय आ रहे होंगे। इन सभी सवालों का जवाब 1 फरवरी 2023 को बजट पेश होने के बाद ही मिलेगा, लेकिन ऐसा इतिहास में कब-कब हुआ है। इसका जवाब आज ही मिल जाएगा। आइए जानते हैं।
भारत का पहला बजट
भारत में पहली बार बजट सात अप्रैल 1860 को पेश किया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री एवं नेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के समक्ष भारत का बजट रखा था।
सबसे लंबा बजट भाषण
यह रिकॉर्ड सीतारमण के ही नाम पर है। उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट लंबा भाषण दिया था। इस दौरान उन्होंने जुलाई 2019 में बनाए गए अपने ही 2 घंटे एवं 17 मिनट लंबे भाषण के रिकॉर्ड को तोड़ा था।
बजट भाषण में सर्वाधिक शब्द
मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे। उसके बाद दूसरा स्थान अरुण जेटली का है जिनके 2018 के बजट भाषण में 18,604 शब्द थे।
सबसे छोटा बजट भाषण
तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने 1977 में सिर्फ 800 शब्दों वाला बजट भाषण दिया था।
सबसे ज्यादा बजट भाषण
यह रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम पर है जिन्होंने 1962-69 के बीच वित्त मंत्री रहते हुए सर्वाधिक 10 बार बजट पेश किया। इसके बाद पी चिदंबरम (नौ), प्रणव मुखर्जी (आठ), यशवंत सिन्हा (आठ) और मनमोहन सिंह (छह) आते हैं।
बजट भाषण के समय में परिवर्तन
वर्ष 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को शाम पांच बजे पेश किया जाता था। लेकिन यशवंत सिन्हा ने 1999 में इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया था। अरुण जेटली ने 2017 में बजट भाषण एक फरवरी को पेश किया। उसके बाद से बजट एक फरवरी को ही सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।
भाषा में सुधार
वर्ष 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था। -कोविड-19 महामारी आने के बाद वर्ष 2021-22 का बजट कागज-रहित पेश किया गया। बता दें, सीतारमण 2019 में बजट पेश करते समय ऐसा करने वालीं दूसरी महिला बनीं। उनके पहले इंदिरा गांधी ने 1970 में वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश किया था।
रेल बजट को आम बजट में किया गया शामिल
वर्ष 2017 तक रेल बजट एवं आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। लेकिन 2017 में रेल बजट को आम बजट में ही समाहित कर दिया गया और अब सिर्फ एक बजट ही पेश किया जाता है।
बजट मुद्रण के जगह में बदलाव
1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था, लेकिन इसके लीक होने के बाद मुद्रण नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा। फिर 1980 से वित्त मंत्रालय के भीतर ही सरकारी प्रेस में इसका मुद्रण होता है।