इस बार का बजट छोटे-बड़े उद्योगों के लिए बेहद खास रहने वाला है। क्योंकि जैसा कि आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि दुनिया इस साल मंदी के चपेट में रहने वाली है। भारत सरकार इससे निपटने के लिए छोटे-छोटे MSMEs के लिए एक बेहतर प्लान बना सकती है। बता दें सरकार के पास ओएनडीसी के साथ अगले दो वर्षों में 48 बिलियन डॉलर का सकल माल मूल्य (जीएमवी) हासिल करने की बड़ी योजना है।
लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को है ये उम्मीद
FarEye के संस्थापक गौतम कुमार का कहना है कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और 2022 में घोषित यूलिप प्लेटफॉर्म के साथ सरकार द्वारा लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में परिवर्तन और विकास का एक स्पष्ट मार्ग प्रशस्त किया गया है। 2023 के बजट में लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार यूलिप के एकीकरण और विकास में तेजी लाने के उपाय करेगी, जो डिजिटल लॉजिस्टिक्स सिस्टम को एकीकृत करेगा और विभिन्न इंडस्ट्री हितधारकों के बीच पूर्णता, पारदर्शिता और सहयोग को बढ़ाएगा।
प्रोत्साहित करने पर ध्यान दे सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार को उन लॉजिस्टिक्स प्लेयर्स को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देना चाहिए जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ऑटोमेशन और बिग डेटा को अपनाना चाहते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स पार्क और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में पर्याप्त वित्तीय प्रोत्साहन देगी।
48 बिलियन डॉलर का प्लान
डीएफसी विशेष रूप से देश में माल ढुलाई की गति को बढ़ावा देंगे और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेंगे। ओएनडीसी भी देश में ई-कॉमर्स के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और छोटे व्यापारियों के लिए एक समान खेल का मैदान प्राप्त करने के लिए ONDC में लॉजिस्टिक्स प्लेयर्स का एकीकरण नेटवर्क के माध्यम से ऑर्डर की गई डिलीवरी के लिए महत्वपूर्ण होगा। सरकार के पास ओएनडीसी के साथ अगले दो वर्षों में 48 बिलियन डॉलर का सकल माल मूल्य (जीएमवी) हासिल करने की बड़ी योजना है। हालांकि, ऐसा होने के लिए सरकार को नेटवर्क में अधिक लॉजिस्टिक्स सेवा सप्लायर्स, खरीदारों और विक्रेताओं को शामिल करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश भर के अधिक शहरों को इसमें शामिल किया जाए।
यह सेक्टर रोजगार पैदा करने में निभाता है महत्वपूर्ण भूमिका
नए वित्त वर्ष के आने वाले प्रस्तावित बजट से पहले विंगाजॉय के को-फाउंडर ललित अरोड़ा ने कहा कि यह देखते हुए कि रोजगार और आर्थिक विकास का समर्थन करने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान है, इसकी ग्रोथ को बढ़ाना लंबे समय से भारत सरकार के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल रहा है। बजट 2022-2023 कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को निराश छोड़ दिया गया क्योंकि इन उत्पादों पर कोई रियायत या जीएसटी रैशनलाइजेशन नहीं दिया गया था। केंद्रीय बजट 2023-2024 से हम बजट में सुधारों की उम्मीद करते हैं जो उपभोक्ता मांग द्वारा इस सेक्टर के ग्रोथ को तेज करेगा।
सरकार दे सकती है इसपर ध्यान
यह देखते हुए कि हियरएबल डिवाइसेज एक नया चलन है, यह सही समय है कि कंज्यूमर डिवाइस कैटेगरीज के तहत हियरएबल डिवाइसेज को भी प्रोत्साहित किया जाए। अब तक, किसी भी हियरएबल डिवाइसेज योग्य किसी विशिष्ट सरकारी प्रोत्साहन नीति या सब्सिडी द्वारा समर्थित नहीं होते हैं। साथ ही भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट/डिजाइनिंग को प्रोत्साहित करना और नई सप्लाई प्रक्रियाओं को बढ़ावा देनाः सरकार कंप्लीटली नॉक्ड डाउन (सीकेडी) और सेमी नॉक डाउन (एसकेडी) उत्पादन को सब्सिडी प्रदान करके निर्माताओं को स्वीकार और प्रोत्साहित कर सकती है। इससे बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है और मैच्योर बाजारों में कंपनियों के फुटप्रिंट का विस्तार होता है।
हम अतिरिक्त कर लाभ और कम कर दरों की भी उम्मीद कर रहे हैं और स्टार्टअप्स के लिए इम्पलॉय स्टॉक ओनरशिप प्लान (ईएसओपी) टैक्सेशन सुधारों का दायरा बढ़ा रहे हैं। इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी की राह पर है और केंद्रीय बजट 2023-2024 कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह इंडस्ट्री के प्रभावी रिवाइवल की सुविधा प्रदान कर सकता है। निर्माण दिग्गज, एमएसएमई और एसएमई समान रूप से आगामी बजट 2022 की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो प्रभावी रूप से उनके विकास पथ को उड़ान दे सकता है।