Highlights
- ग्रोथ विथ इंप्लॉयमेंट बहुत आवश्यक है- अमिताभ कांत
- 'हर समय टैक्स पॉलिसी को छेड़ेंगे तो ग्रोथ को प्रभावित करेगा'
- 'नैचुरल फार्मिंग में खर्च कम होता है और आय बढ़ती है'
Amitabh Kant Exclusive on Budget 2022: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट संसद में पेश कर दिया है। मोदी के बजट में कितनी नीति, कितनी राजनीति?, 60 लाख नौकरियों का सॉलिड प्लान क्या है? कैसे बनेंगे 80 लाख मकान, क्या मोदी का ये बजट महंगाई घटाने वाला है? इन सब सवालों के जवाब नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने इंडिया टीवी के साथ विशेष बातचीत में दिए।
मोदी सरकार के आम बजट 2022 (Budget 2022) में नौकरियों, महंगाई और कृषि समेत अन्य कई सेक्टरों के लिए कई बड़े ऐलान किए गए हैं। इंडिया टीवी के साथ बजट पर EXCLUSIVE बातचीत करते हुए नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा कि बजट में सबसे ज्यादा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहा है। महंगाई आउट ऑफ कंट्रोल नहीं है, पेट्रोल और गैस के दाम बढ़ने से चीजों के दाम बढ़े हैं। सनराइज एरिया ऑफ ग्रोथ पर बजट का फोकस रहा है। ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लीन मोबिलिटी पर फोकस रहा है। नए एरिया में ग्रोथ होगा तो वहां रोजगार भी मिलेगा।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि बजट का सबसे महत्वपूर्ण डायरेक्शन कैपिटल एक्सपेंडिचर पर है, ये इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएटिंग बजट है। इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस होता है तो ग्रोथ पूरे देश का होता है। जीडीपी का 4.1 प्रतिशत पैसा इंफ्रास्ट्रक्चर में जाएगा। ग्रोथ विथ इंप्लॉयमेंट बहुत आवश्यक है। सनराइज एरिया ऑफ ग्रोथ पर बजट का फोकस रहा है। साथ ही बजट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लीन मोबिलिटी, बैट्री, सोलर पीवी पर फोकस रहा है। ग्रोथ ओरियंटेशन के साथ जॉब क्रिएशन ही डायरेक्शन है। मोबाइल उत्पादन में ग्रोथ हो रही है, मोबाइल उत्पादन में 10 गुना बढ़ोतरी हुई है।
महंगाई पर बजट का क्या असर होगा? इस सवाल के जवाब में अमिताभ कांत ने कहा कि महंगाई ऑउट ऑफ कंट्रोल नहीं है। महंगाई को कंट्रोल मॉनिटरी पॉलिसी से किया जाता है। सरकार और RBI मुद्रास्फीति को कंट्रोल में रखने में जुटी है ताकि आम आदमी पर मुद्रास्फीति यानी महंगाई का भार ना पड़े। भारत में इंपोर्टेड इंफ्लेशन है, पेट्रोल और गैस का दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। किसानों को खाद में सब्सिडी बढ़ायी गयी है। ग्रामीण सड़क योजना में खर्च 15 हज़ार से बढ़कर 19 हज़ार करोड़ हुआ है। पीएम आवास योजना में खर्च 48 हज़ार करोड़ हो गया है। नेशनल एजुकेशनल मिशन में 5 हज़ार करोड़ का आबंटन बढ़ा है। सभी स्कीम में गरीब और मीडिल क्लास का ध्यान रखा गया है।
वेलफेयर स्कीम चलनी चाहिए लेकिन मिडिल और लोअर मिडिल क्लास को रियायत क्यों नहीं? इस सवाल के जवाब में अमिताभ कांत ने कहा कि टैक्स पॉलिसी में पूर्वानुमान और consistency बहुत ज़रूरी है। हर समय टैक्स पॉलिसी को छेड़ेंगे तो ग्रोथ को प्रभावित करेगा। डायरेक्ट टैक्स को नहीं छेड़कर वित्त मंत्री ने सही किया है। टैक्स नहीं होगा तो ग्रोथ कैसे होगी, सब्सिडी कैसे देंगे, मनरेगा कैसे चलेगा, खाद सब्सिडी कैसे देंगे? भारतीयों को ज़िम्मेदारी से समझना पड़ेगा कि टैक्स नहीं देंगे तो सरकार देश कैसे चलायेगी।
इस बजट में कृषि के लिए क्या है? के सवाल पर अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में कैमिकल और कीटनाशक बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होते हैं, इसलिए नैचुरल फार्मिंग को बढ़ावा दिया गया है। गंगा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर का बेड नैचुरल फार्मिंग के लिए बनाने की बात की गयी है। नैचुरल फार्मिंग में खर्च कम होता है और आय बढ़ती है। वैल्यू एडेड एग्रीकल्चर पर फोकस किया गया है। एनिमल हस्बेंड्री और फूड प्रोडक्शन में बढ़त आएगी। नैचुरल फार्मिंग और वैल्यू एडेड एग्रीकल्चर से जमीन की उत्पादकता बढ़ेगी और किसान को फायदा होगा।
प्राइवेट सेक्टर में जॉब्स कैसे बढ़ेंगी? इस पर नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा कि 14 सेक्टर में प्रोडक्शन लिंकड इंसेंटिव आउटपुट से जुड़ा है। जब प्रोडक्शन बढ़ेगा तभी बेनिफिट मिलता है। इन 14 सेक्टर में मोबाइल, बैट्री, सोलर मैन्युफैक्चरिंग हैं। ये सब प्राइवेट सेक्टर के माध्यम से उत्पादन देंगे। Asset Monetisation भारत सरकार का बड़ा प्रोग्राम है। Asset को ऑपरेशन के लिए प्राइवेट सेक्टर को दिया गया। प्राइवेट सेक्टर ज़्यादा बेहतर तरीके से ऑपरेशनल करेंगे और ज़्यादा जॉब्स क्रिएट कर पाएंगे। Asset Monetisation 6 लाख करोड़ का लक्ष्य है।