Highlights
- आम लोगों में हाथ में पैसा पहुंचाने का प्रयास बजट में करना चाहिए
- ग्रामीण मनरेगा के तर्ज पर शहरी बेरोजगारों के लिए शहरी मनरेगा जरूरी
- हेल्थ पर खर्च बढ़ाकर कम से कम जीडीपी का 3 फीसदी करने की जरूरत
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। इस बजट में कोविड-19 संकट से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करना, बेरोजगारी घटाना, किसानों और छोटे कारोबारियों की आय बढ़ाना समेत कई चुनौतियों पर वित्तमंत्री को विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करना होगा। इंडिया टीवी ने वित्तमंत्री के सामने बजट को लेकर चुनौतियों पर देश के जाने-माने अर्थशास्त्री अरुण कुमार से बात की और उनके सुझाव लिए। पेश है मुख्य अंश:-
1. बेरोजगारी घटाना और नौकरियां बढ़ाना
कोरोना महामारी के बाद बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। हालांकि, हाल के दिनों में सुधार आया है लेकिन अभी भी यह औसत से काफी अधिक है। सीएमआईई के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर अभी 6.9% है। वहीं, शहरी बेरोजगारी दर 8.4% और ग्रीमीण बेरोजगारी दर 6.2% पर है। वित्त मंत्री को बजट के जरिये बेरोजगारी कम करने पर जोर देना होगा। इसके लिए बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) पर बजट आवंटन बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा ग्रामीण मनरेगा के तर्ज पर शहरी बेरोजगारों के लिए शहरी मनरेगा शुरू करने का ऐलान करना चाहिए। इससे बेरोजगारी दर घटाने और रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
1. घरेलू मांग को पटरी पर लाना
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) का अनुमान है कि 2021-22 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था 9.2% की दर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इसके बावजूद कि इस साल की ग्रोथ रेट पिछले साल के अभूतपूर्व 7.3% की नकारात्मक दर के बेस पर आ रही है। यानी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है। सरकार को मांग बढ़ाने पर जोर देना। मांग बढ़ाने को लेकर अर्थशास्त्री अरुण कुमार का कहना है कि कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर छोटे आय वर्ग पर हुआ है। रोजी-रोटी का संकट के चलते उनकी खरीदारी क्षमता लगभग खत्म हो गई है। देश की 40% आबादी सबसे बुरी तरह से प्रभावित है। ऐसे में सरकार को मांग बढ़ाने के लिए सामाज के निचले पायदान के लोगों में हाथ में पैसा पहुंचाने का प्रयास बजट में करना चाहिए। इसके लिए कैश ट्रांसफर जैसे कदम सरकार को उठाने होंगे।
3. बढ़ती महंगाई पर काबू पाना
खाने-पीने की चीजों महंगी होने के चलते खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 5.59 फीसदी पहुंच गई है। वहीं, थोक महंगाई 13.56 फीसदी के उच्चतम स्तर पर है। महंगाई बढ़ने से लोगों की क्रय क्षमता प्रभावित हुई और घर का बजट बिगड़ा है। वित्त मंत्री को महंगाई पर काबू करते हुए खर्च बढ़ाने के उपाय पर जोर देना चाहिए। बजट में लोगों के बचत बढ़ाने के तरीकों पर जोर देने की जरूरत है। ऐसा करने से लोगों के हाथ में पैसे आएगा जिससे मांग बढ़ेगी जो अर्थव्यवस्था को गति देने का काम करेगी।
4. सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना
कोरोना महामारी के दौरान हेल्थकेयर सेक्टर ने बड़ी चुनौती का सामना किया है। आम लोगों को भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए वित्त मंत्री को सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए हेल्थ पर खर्च बढ़ाकर कम से कम जीडीपी (GDP) का 3 फीसदी करने की जरूरत है। इससे देशभर में अस्पताल और इलाज की बेहतर व्यवस्था करने में मदद मिलेगी जो कम आय वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
5. राजकोषीय घाटा कम करना और निवेश बढ़ाना
बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने राजकोषीय घाटा और निवेश बढ़ाने पर भी फोकस करने की चुनौती होगी। कोरोना महामारी के दौरान अत्यधिक उधारी और खर्च ने भी राजकोषीय घाटा बढ़ा दिया है। वहीं, निजी निवेश अभी भी बहुत कम है। इससे रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं। वहीं, राजकोषीय घाटा बढ़ने से देश की रेटिंग प्रभावित होगी। इससे बचने के उपाय बजट में करने होंगे। इसके साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने पर जोर देना होगा। कोरोना संकट में देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह चुके हैं। इसलिए इस बार के बजट में किसानों के लिए होने वाले ऐलान पर सबकी नजर है, क्योंकि ये घोषणा जहां किसानों की नाराजगी दूर कर सकती है, वहीं दूसरी ओर किसानों की आय बढ़ाने में भी मददगार होगी।