Highlights
- चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से होने वाली आय के अनुमान में भारी कटौती की
- इसे 1.75 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया
- विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है
नयी दिल्ली। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से होने वाली आय के अनुमान में भारी कटौती करते हुए इसे 1.75 लाख करोड़ रुपये से घटाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इसके साथ ही उसने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में सरकार को विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य में बड़ी कटौती की घोषणा की है। पिछले साल उन्होंने 2021-22 के बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य घोषित किया था। लेकिन वित्त वर्ष खत्म होने में सिर्फ दो महीने का ही वक्त रह जाने के बीच सरकार अबतक सिर्फ 12,030 करोड़ रुपये का ही विनिवेश राजस्व जुटा पाई है। इसमें 2,700 करोड़ रुपये एयर इंडिया की बिक्री से मिले हैं जबकि 9,330 करोड़ रुपये विभिन्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की अल्पांश हिस्सेदारी बेचने से मिले हैं।
वर्ष | लक्ष्य | प्राप्ति |
2012-22 | 1.75 लाख करोड़ (संशोधित 78,000 करोड़) | 12,030 करोड़ (जनवरी 2022 तक |
2020-21 | 2.10 लाख करोड़ | 37,897 करोड़ |
2019-20 | 1.05 लाख करोड़ (संशोधित 65,000 करोड़) | 50,298 करोड़ |
2018-19 | 80,000 | 84,972 |
2017-18 | 1 लाख करोड़ | 1,00,056 करोड़ |
हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी हिस्सेदारी बेचकर वह वर्ष 2021-22 के संशोधित विनिवेश लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगी। एलआईसी का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारियां चल रही हैं और मार्च में इसके आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा सरकार बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, कंटेनर कॉरपोरेशन, आरआईएनएल और पवनहंस लिमिटेड की भी रणनीतिक बिक्री की कोशिश में लगी हुई है। सरकार इसके पहले भी कई बार अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने से चूकी है।