अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक महासंघ (AICPDF) ने एफएमसीजी (दैनिक इस्तेमाल का सामान बनाने वाले) इंडस्ट्री से कहा है कि त्वरित वाणिज्य (क्विक कॉमर्स) फर्मों द्वारा अत्यधिक छूट से ब्रांड वैल्यू प्रभावित हो रहा है। एआईसीपीडीएफ ने सुझाव दिया कि एफएमसीजी इंडस्ट्री इन हाइपर डिलिवरी प्लेटफार्म, उनके वितरण और खुदरा नेटवर्क के प्रभाव की बारीकी से निगरानी और मूल्यांकन करें। एक खुले पत्र में, अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक महासंघ ने एफएमसीजी कंपनियों से कहा कि वे ‘‘निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करें जो उनके मौजूदा वितरक और खुदरा आधार को अलग-थलग या कमजोर न करें।’’
ब्रांड वैल्यू हो रही कमजोर
लगभग आठ लाख एफएमसीजी वितरकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले इस संगठन ने कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में, हमने क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा अत्यधिक मूल्य निर्धारण और भारी छूट व्यवहार की एक खतरनाक प्रवृत्ति देखी है।’’ इसने कहा कि ये व्यवहार न केवल स्थापित वितरण नेटवर्क को कमजोर करता है, बल्कि मूल्य निर्धारण के बारे में अवास्तविक उपभोक्ता अपेक्षाएं पैदा करके ब्रांड वैल्यू को भी नष्ट करता है।’’
खुदरा विक्रेता भुगत रहे खामियाजा
एआईसीपीडीएफ ने कहा, "इसके अलावा वितरक और खुदरा विक्रेता इन अनुचित मूल्य निर्धारण मॉडल का खामियाजा भुगत रहे हैं।’’ उसने एफएमसीजी कंपनियों से कहा, ‘‘अपने ब्रांड के मूल्य की रक्षा के लिए मूल्य निर्धारण रणनीतियों को विनियमित करने के लिए हस्तक्षेप करें।’’ क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म आमतौर पर 10-30 मिनट के भीतर सामान वितरित करते हैं। हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले डीपीआईआईटी ने क्विक कॉमर्स प्लेयर्स के खिलाफ कथित अनुचित व्यापार व्यवहार की शिकायत प्रतिस्पर्धा आयोग को भेजी है। शिकायत एआईसीपीडीएफ ने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को सौंपी थी।