केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के बंटवारे से संबंधित सिफारिशें करने के लिए सरकार ने 16वें वित्त आयोग के गठन से संबंधित संदर्भ शर्तों को मंजूरी दे दी है। आधिकारिक बयान के अनुसार, आयोग पांच साल की अवधि (2026-27 से 2030-31) के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक राष्ट्रपति को सौंप देगा। कर आवंटन और राज्यों के राजस्व वृद्धि उपायों के अलावा आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित कोष के संदर्भ में आपदा प्रबंधन पहल के वित्तपोषण की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा भी करेगा। बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16वें वित्त आयोग की संदर्भ शर्तों को मंजूरी दे दी है। 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार किए जाने पर एक अप्रैल, 2026 से पांच साल की अवधि तक वैध रहेंगी।’’
सदस्यों के चयन पर अंतिम फैसला जल्द
एक अधिकारी ने बताया कि 16वें वित्त आयोग के प्रमुख और सदस्यों के चयन पर अंतिम फैसला जल्द किया जाएगा। आयोग के लिए संदर्भ शर्तें (टीओआर) उचित समय पर अधिसूचित की जाएंगी। वित्त आयोग का मुख्य दायित्व केंद्र तथा राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करना है। इसके अलावा यह केंद्र एवं राज्यों के बीच करों के बंटवारे की सिफारिशें करता है और राज्यों के बीच इन करों के वितरण का निर्धारण करने वाले सिद्धांतों को भी तय करता है। वित्त आयोग केंद्र तथा राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण, ऐसी आय की हिस्सेदारी का संबंधित राज्यों के बीच आवंटन, सहायता अनुदान तथा राज्यों का राजस्व के लिए आवश्यक कदमों की अनुशंसा करता है। यह राज्य में पंचायतों तथा नगर पालिकाओं के संसाधनों की पूर्ति के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय भी सुझाएगा। बयान के अनुसार, ‘‘ आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत गठित कोषों के संदर्भ में आपदा प्रबंधन पहल के वित्तपोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सुझाव भी दे सकता है।’’ वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो केंद्र-राज्य वित्त संबंधों पर सुझाव देता है। इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है।
सिफारिशें देने में आम तौर पर दो वर्ष का समय
एन के सिंह की अगुवाई वाले 15वें वित्त आयोग ने राज्यों को 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल की अवधि में केंद्र के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत देने की सिफारिश की थी। उसने पांच साल की अवधि के लिए सकल कर राजस्व (जीटीआर) 135.2 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद जताई थी। वित्त आयोग को अपनी सिफारिशें देने में आम तौर पर करीब दो वर्ष का समय लगता है। वित्त मंत्रालय में 16वें वित्त आयोग के अग्रिम प्रकोष्ठ का गठन 21 नवंबर, 2022 को किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके। इसके बाद ‘‘संदर्भ शर्तें’’ तैयार करने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कार्य-समूह बनाया गया था। इसमें सचिव (आर्थिक मामले), सचिव (राजस्व), सचिव (वित्तीय सेवाएं), मुख्य आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के सलाहकार और अतिरिक्त सचिव (बजट) भी शामिल थे।