IDBI Bank की बिक्री पर बड़ी खबर आ गई है। सरकार ने बिक्री प्रक्रिया पूरी करने की डेडलाइन तय कर दी है। आपको बता दें कि सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष 2024-25 में आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री पूरी हो जाएगी। निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जारी है। नियामक की मंजूरी मिलने के बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी। रणनीतिक बिक्री के अगले वित्त वर्ष में पूरी होने के सवाल पर पांडे ने कहा, ‘हां, बिल्कुल।’
सरकार एलआईसी के साथ आईडीबीआई बैंक में करीब 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। अक्टूबर 2022 में खरीदारों से बोलियां आमंत्रित की गई थीं। ईओआई के जरिए रुचि दिखाने वाले बोलीदाताओं को गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी और ‘उपयुक्त एवं उचित’ मानदंडों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंजूरी हासिल करनी होगी।
एसेट मोनेटाइजेशन लक्ष्य से कम
केंद्र सरकार तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों द्वारा चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 1.50 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण (Asset Monetization) का अनुमान है। यह 1.75 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से थोड़ा कम है। निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा कि इस वर्ष परिसंपत्ति मुद्रीकरण का लक्ष्य करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये था और ‘हम मुद्रीकरण के माध्यम से 1.50 लाख करोड़ रुपये हासिल करने जा रहे हैं।’ राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की ‘ब्राउनफील्ड’ बुनियादी ढांचा संपत्तियों की कुल मुद्रीकरण क्षमता छह लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है।
बजट में नहीं दिखाई देता आय
पांडे ने कहा कि खनन, सड़क तथा बिजली क्षेत्र में बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट्स), टोल ऑपरेट ट्रांसफर (टीओटी) के जरिए मुद्रीकरण जारी है और पेट्रोलियम क्षेत्र में भी ऐसा होने लगा है। पांडे ने कहा, संपत्ति मुद्रीकरण की आय बजट में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में आय उद्यम को मिलती है, सरकार को नहीं। परिसंपत्ति मुद्रीकरण का मकसद नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के निवेश का दोहन करना है। यह रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करता है, जिससे उच्च आर्थिक वृद्धि संभव होती है। समग्र सार्वजनिक कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को एकीकृत किया जाता है।