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पोल्ट्री फार्म संचालकों के लिए बड़ी खबर है। लंबे समय से अंडे-चिकन को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाने की मांग को सरकार ने खारिज कर दिया है। दरअसल, मंगलवार को कांग्रेस के सांसद अनुमुला रेवंत रेड्डी ने सवाल उठाया था कि क्या सरकार पोल्ट्री किसानों को मदद के लिए चिकन और अंडे को एमएसपी में लाने पर विचार कर रही है। इस पर आज सरकार की ओर से मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरशोत्तम रूपाला ने जवाब दिया और कहा कि सरकार की ऐसी कोई तैयारी नहीं है। उन्होंने कहा कि चिकन बहुत ही जल्द खराब होने वाली वस्तु है। ऐसे में इसको MSP के दायरे में नहीं ला सकते। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हर राज्य में पोल्ट्री फार्म चलाने की लागत अलग-अलग आती है। इसलिए चिकन को एमएसपी के दायरे में नहीं रखा जा सकता है।
कोरोना के दौरान पोल्ट्री किसानों को हुआ था बड़ा नुकसान
कोरोना महामारी के दौरान पोल्ट्री किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। कोरोना महामारी, लॉकडाउन और बर्ड फ्लू के कारण पोल्ट्री फर्म का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ था। होटल, रेस्टोरेंट और बैंकेट हॉल बंद होने से मांग बिल्कुल खत्म हो गई थी। यह गिरावट सोशल मीडिया पर उस अफवाह के बाद आई थी, जिसमें कहा गया था कि चिकन खाने से कोरोना हो सकता है या संक्रमण तेजी से फैल सकता है। इसके बाद चिकन के दाम 20 रुपये प्रति किलो से भी कम हो गए थे। इससे करीब दो साल तक देशभर में पोल्ट्री कारोबार खत्म हो गया था। किसानों को भारी नुकसान हुआ था। इसी को देखते हुए पोल्ट्री किसानों ने चिकन और अंडे को एमएसपी में लाने की मांग कर रहे हैं।
मुश्किल दौर से गुजर रहा पोल्ट्री कारोबार
पोल्ट्री फार्म के कारोबारियों का कहना है कि समय-समय पर बर्ड फ्लू प्रकरण सहित कई अफवाहों से पोल्ट्री कारोबार को बहुत मुश्किल दौर से गुजरना पड़ता है। इससे छोटे किसान आर्थिक संकट से उबर ही नहीं पाते हैं। इसके चलते उन्हें अपने मुर्गी फार्म को बंद कर दिया है। देशभर के छोटे उत्पादक जो बार-बार कीमतों में उतार-चढ़ाव को झेल पाने में असमर्थ होते हैं।