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हरियाणा, मिजोरम और त्रिपुरा के ग्रामीण स्थानीय निकायों को बड़ी सौगात, केंद्र सरकार ने जारी की यह रकम

केंद्र, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग के अनुदान जारी करने की सिफारिश करता है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Nov 05, 2024 13:29 IST, Updated : Nov 05, 2024 13:29 IST
ग्रांट
Photo:FILE ग्रांट

केंद्र ने त्रिपुरा तथा हरियाणा के ग्रामीण स्थानीय निकायों को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 15वें वित्त आयोग के अनुदान की पहली किस्त और मिजोरम को दूसरी किस्त जारी कर दी है। पंचायती राज मंत्रालय के अनुसार, त्रिपुरा में पारंपरिक स्थानीय निकायों, 40 ब्लॉक सलाहकार समितियों और 587 ग्राम समितियों सहित सभी 1,260 ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) के लिए कुल 31.40 करोड़ रुपये का ‘अनटाइड’ अनुदान और 47.10 करोड़ रुपये का ‘टाइड’ अनुदान जारी किया है। आरएलबी द्वारा वेतन और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, स्थान-विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए ‘अनटाइड’ (अबद्ध) अनुदान का इस्तेमाल किया जाता है।

हरियाणा को 194.867 करोड़ रुपये का ‘अनटाइड’ अनुदान 

‘टाइड’ (बद्ध) अनुदान का इस्तेमाल बुनियादी सेवाओं जैसे स्वच्छता, खुले में शौच से रोकने के लिए और पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण के लिए किया जाता है। पंचायती राज मंत्रालय ने अपने बयान में बताया कि हरियाणा को 194.867 करोड़ रुपये का ‘अनटाइड’ अनुदान मिला है। यह राशि राज्य की 18 पात्र जिला पंचायतों, 139 ब्लॉक पंचायतों और 5,911 ग्राम पंचायतों को वितरित की गई है। इसमें कहा गया, मिजोरम को क्रमशः 14.20 करोड़ रुपये और 21.30 करोड़ रुपये का ‘अनटाइड’ और ‘टाइड’ अनुदान मिला। यह धनराशि स्वायत्त जिला परिषद क्षेत्रों सहित सभी 834 ग्राम परिषदों को वितरित की गई है।

यह है उद्देश्य

मंत्रालय ने कहा कि वित्त आयोग के अनुदान का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं और आरएलबी को अधिक सक्षम, जवाबदेह तथा आत्मनिर्भर बनाना है। इसमें कहा गया, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के अनुरूप यह पहल समावेशी विकास व सहभागी लोकतंत्र का समर्थन करती है, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।’’ बयान में कहा गया है कि केंद्र, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग के अनुदान जारी करने की सिफारिश करता है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है। इसमें कहा गया है कि आवंटित अनुदान एक वित्त वर्ष में दो किस्तों में जारी किया जाता है।

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