सरकार ने शुक्रवार को प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। इसके साथ ही सरकार ने देसी चने के आयात पर शुल्क से 31 मार्च, 2025 तक छूट देने का फैसला किया। इसके अलावा 31 अक्टूबर, 2024 या उससे पहले जारी किए गए ‘बिल ऑफ एंट्री’ के जरिये पीले मटर के आयात पर शुल्क छूट भी बढ़ा दी गई है। ‘बिल ऑफ एंट्री’ एक कानूनी दस्तावेज है, जो आयातकों या सीमा शुल्क निकासी एजेंटों के आयातित माल के आगमन पर या उससे पहले दाखिल किया जाता है। वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि ये सभी बदलाव चार मई से प्रभावी होंगे।
फिलहाल प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि, सरकार भारत मित्र देशों को निर्यात की अनुमति देती है। इसने संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश को एक निश्चित मात्रा में प्याज निर्यात की अनुमति दी हुई है। पिछले साल अगस्त में भारत ने प्याज पर 31 दिसंबर 2023 तक 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था।
प्रतिबंध के बावजूद इन देशों को निर्यात होगा प्याज
सरकार ने बीते हफ्ते निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद छह देशों को 99,150 टन प्याज भेजने की अनुमति दी थी। केंद्र ने पश्चिम एशिया और कुछ यूरोपीय देशों के निर्यात बाजारों के लिए विशेष रूप से उगाए गए 2,000 टन सफेद प्याज के निर्यात की भी अनुमति दी है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि सरकार ने ''छह देशों- बांग्लादेश, यूएई, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दी है।'' पिछले साल की तुलना में 2023-24 में खरीफ और रबी की पैदावार कम होने के अनुमान के चलते पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्यात प्रतिबंध लगाया गया है। इन देशों को प्याज निर्यात करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) ने ई-प्लेटफॉर्म के जरिए निर्यात के लिए घरेलू प्याज मंगाया है।
मालदीव के लिये भी हटाया गया है प्रतिबंध
हाल ही में भारत ने मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी और दाल जैसी कुछ वस्तुओं की निर्दिष्ट मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंध को हटा दिया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा था कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत मालदीव को इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी गई है। मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी, दाल, बजरी और नदी की रेत के निर्यात की अनुमति दी गई थी।